*याद करो कुर्बानी उनकी*
""''''''^^^^^*शंकर छंद*^^^^^""'"""
याद करो कुर्बानी उनकी,
नही जाना भूल।
हँसते हँसते आजादी को,
गए फंदे झूल।
मातृभूमि की रक्षा करने,
लगा बढ़ने हाथ।
सत्य अहिंसा बापू जी ने,
चला रखके साथ।।1
""''''''^^^^^*शंकर छंद*^^^^^""'"""
याद करो कुर्बानी उनकी,
नही जाना भूल।
हँसते हँसते आजादी को,
गए फंदे झूल।
मातृभूमि की रक्षा करने,
लगा बढ़ने हाथ।
सत्य अहिंसा बापू जी ने,
चला रखके साथ।।1
आन बान की लड़ी लड़ाई,
लगा तन को दाँव,
बाँध कफ़न सर आजादी की,
बढ़ा आगे पाँव।
झुकने नही दिया मरके भी,
तिरंगे की शान,
आजादी के परवाने थे,
खड़े सीना तान।
दे आजादी भारत माँ को,
भरा झोली फूल,
याद करो कुर्बानी उनकी,
नही जाना भूल,
हँसते हँसते आजादी को,
गए फंदे झूल।।2
लगा तन को दाँव,
बाँध कफ़न सर आजादी की,
बढ़ा आगे पाँव।
झुकने नही दिया मरके भी,
तिरंगे की शान,
आजादी के परवाने थे,
खड़े सीना तान।
दे आजादी भारत माँ को,
भरा झोली फूल,
याद करो कुर्बानी उनकी,
नही जाना भूल,
हँसते हँसते आजादी को,
गए फंदे झूल।।2
इंकलाब जयकार लगाते,
खुदी शेखर बोस,
कतरा कतरा लहू बहाने,
भरे तन में जोश।
सोच फिरंगी थर थर काँपे,
चन्द्र शेखर नाम,
लाल बाल जी पाल खड़े थे,
साथ करने काम।
लक्ष्मी बाई हाथों दुश्मन,
चांट खाया धूल,
याद करो कुर्बानी उनकी,
नही जाना भूल,
हँसते हँसते आजादी को,
गए फंदे झूल।।3
खुदी शेखर बोस,
कतरा कतरा लहू बहाने,
भरे तन में जोश।
सोच फिरंगी थर थर काँपे,
चन्द्र शेखर नाम,
लाल बाल जी पाल खड़े थे,
साथ करने काम।
लक्ष्मी बाई हाथों दुश्मन,
चांट खाया धूल,
याद करो कुर्बानी उनकी,
नही जाना भूल,
हँसते हँसते आजादी को,
गए फंदे झूल।।3
रचना-इंजी.गजानंद*सत्यबोध*