मंगलवार, 6 जून 2023

लावणी छंद-

पहिचान-

गजानंद पहिचान बतावय, गुरु बालक धर बाना जी।

गाँव सेंदरी जिला मुंगेली, हवय पथरिया थाना जी।।


लैनदास के बेटा हम तो, अमर दुकलहिन हे दाई।

सतनामी के शान बरोबर, सात हवन हम जी भाई।।


अमृतदास हे पहला भइया, अमरित जेकर हे बानी।

शिक्षा के जे जोत जलावय, ज्ञान धरे गुरु जिनगानी ।।


प्रेमदास हे दूजा भइया, प्रेम रंग रस ला घोरे।

एक बरोबर सुख दुख मानै, आस कभू खुद ना टोरे।।


धरम दास तीसरा बड़े हे, धरम वीर भइया मोरे।

सिधवा बर बड़ सिधवा ये हा, कपटी के माथा फोरे।।


विष्णुदास हे चौथा भइया, बुद्धि ज्ञान बल के ज्ञाता।।

धीर धरे रख के संयम जे, बाँध रखे जम्मो नाता।।


रामदास पाँचवा बड़े मा, भइया मोरे हे खाटी।

दुश्मन बैरी के छाती मा, ठोक मड़ावय वो काँटी।।


भानदास हे छठवाँ भइया, जिनगी जेकर हे सादा।

दूर रखे लिग़री चारी ले, करे सुमत के जे वादा।।


गजानन्द मैं अभियंता हँव, छोट दुलरुवा जी भाई।

अपन कूल के आन बान अँव,गुरु बालक के परछाईं।।

✍🏻इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

11/03/20, 8:00 pm


शिक्षा जोत जलाबो घर-घर

शिक्षा जोत जलाबो घर-घर, मिलके कदम बढ़ाबो जी।

अपन अपन नोनी बाबू ला, आवव क ख ग पढ़ाबो जी।।


नोनी पढ़ही आगू बढ़ही, दू कुल करही उजियारा।

बाबू पढ़ही अफसर बनही, बनही आँखी के तारा।।


हक अधिकार लड़े बर सिखही, विकास शिखर चढ़ाबो जी।

अपन अपन नोनी बाबू ला, आवव क ख ग पढ़ाबो जी।।1


रोटी कपड़ा अउ मकान बिन, जइसे बिरथा हे जिनगी।

दुख के सब अँधियारी हर दै, शिक्षा प्रकाश के तिलगी।।


कौंर निवाला कम दू खाके, पसिया भूख मढ़ाबो।

अपन अपन नोनी बाबू ला, आवव क ख ग पढ़ाबो जी।।2


संस्कारवान बेटी बेटा, हर घर मा तब हम पाबो।

मिलही सुख के छाँव बरोबर, जब शिक्षा पेड़ लगाबो।।


खुशी ठिकाना का पुछबे तब, शिक्षा रंग गढ़ाबो जी।

अपन अपन नोनी बाबू ला, आवव क ख ग पढ़ाबो जी।।3

23/03/20, 6:30 pm

लावणी छंद- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


मँय पुरखा के थाती अँव-

सेत धजा मँय थामे बढ़थौं, ककरो रोके रुकँव नहीं ।

रखथौं सीना फौलादी मँय, ककरो आगे झुकँव नहीं ।।


चीर करेजा दौं बैरी के, अइसे तीर कटारी अँव ।

सतनामी सत रखवाला मँय, दुखिया के सँगवारी अँव ।।


चौंका अँव रतिदास रचे मँय, उषा समे के अँव गाना ।

देवदास के मांदर पंथी, हवँव पुरानिक धुन ताना ।।


राम बिलास खुँटे के बानी, सत्य राह अनुगामी अँव ।

शशि रंगीला के तो बघवा, मँय यशवँत सतनामी अँव ।।


गोफे लाल गेंदले बन मँय, गगन उड़ावँव सत झंडा ।

राजेन्द मिलन रंगीला मँय, सत्य ज्ञान के हँव हंडा ।।


सुरबइहा मँय गोरे बर्मन, भजन सुनावँव मँय खाटी ।

माथ लगा लौ मँय चंदन अँव, छत्तीसगढ़ के मँय माटी ।।


मंगत के मँय प्रभात सागर, हर प्रसाद के मँय दोहा ।

जैत राम सोनी के जिनगी, मोर भुजा कर दिस लोहा ।।


सरहा जोधाई के लाठी, वीर भान के छाती अँव ।।

गुरु बालक के थामे बाना, मँय पुरखा के थाती अँव ।

✍🏻 इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़)

02/05/20, 11:33 pm


लावणी छंद गीत- सत के धुरी गिरौदपुरी

सत के धुरी गिरौदपुरी हा, सबला गजब सुहाये जी।

फागुन के पँचमी छठ साते, मेला जिहाँ भराये जी।।


धुनी रमाये छात पहाड़ी, बइठे हे गुरु घासी हा।

दरस करे ले सब संतन के, मिटथे घोर उदासी हा।।

चरण कुंड अउ अमृत कुंड के, पानी अमृत समाये जी।

सत के धुरी गिरौदपुरी हा, सबला गजब सुहाये जी।।1


जोक नदी के पावन दहरा, डुबकी मार नहा ले तैं।

पँच कुण्डी के पंच अमृत कस, अंतस धार बहा ले तैं।

बहरा डोली खेत जिहाँ गुरु, नाँगर अधर चलाये जी।

सत के धुरी गिरौदपुरी हा, सबला गजब सुहाये जी।।2


एक मुठा धर धान हथेली, पूरा खेत पुराये हे।

भाटा बारी ले मिरचा ला, नव तकनीक बताये हे।।

औंरा धौंरा पेड़ तरी गुरु, सत के ज्ञान लखाये जी।

सत के धुरी गिरौदपुरी हा, सबला गजब सुहाये जी।।3


जादू टोना झाड़ फूँक अउ, भूत प्रेत भ्रम भंडारा।

डाक्टर औषध जड़ी बुटी ही, करथे जिनगी उजियारा।।

सखा बुधारू माँ सफुरा ला, जीवन दान दिलाये जी।

सत के धुरी गिरौदपुरी हा, सबला गजब सुहाये जी।।4


सत के प्रतीक ऊँचा खम्भा, हे गिरौदपुर के माटी।

मान सहेज रखे हावँय जी, अनुयायी गुरु के खाँटी।।

गजानंद गुरु महिमा गा-गा, सब ला नित्य सुनाये जी।

सत के धुरी गिरौदपुरी हा, सबला गजब सुहाये जी।।5

जय सतनाम! जय गिरौदपुरी धाम🙏🏻

इंजी. गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 24/02/2023

मयूरशिखा छंद-

*मयूर शिखा (अर्ध सममात्रिक छंद)* नव प्रस्तारित आधार छंद है। *कुल मात्रा -- 54* *यति-- 14,13* *पदांत- IIS* *मापनी--- SSS-SSS-S, SSIS-SIIS* ( ...