शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

सतनाम पंथी गीत

 पंथी गीत- सत बिरवा के छाँव

मुखड़ा

सादा झंडा लहरगे हो गुरु.. गली शहर अउ गाँव मा।

मोरो मन जुड़ागे हो बबा.. सत बिरवा के छाँव मा।।


अंतरा 1-

गुरु के बानी अमरित पानी।

उज्जर कर लौ ये जिनगानी।

सत के रंग मा रंग लौ ये काया।

बिरथा हे गुरु बिन जिनगी अउ माया।


घोर- मुक्ति मारग बंधे हे हो गुरु.. अजर अमर तोरे नांव मा।

मोरो मन जुड़ागे हो गुरु...सत बिरवा के छाँव मा।।


अंतरा 2-

ज्ञान के दरिया बहत हे छल- छल।

तन-मन धो लौ सुग्घर मल- मल।

मन के मंदिर मा दीया जला लौ

छाये अँधेरिया दूर भगा लौ।


घोर- 

पड़े रहय गजानंद हो गुरु..चरण कमल तोरे पाँव मा।

मोरो मन जुड़ागे हो गुरु...सत बिरवा के छाँव मा।।


सादा झंडा लहरगे हो गुरु.. गली शहर अउ गाँव मा।

मोरो मन जुड़ागे हो बबा.. सत बिरवा के छाँव मा।।


रचनाकर- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


पंथी गीत- काला काला समझावँव गुरु

मुखड़ा- काला-काला समझावँव गुरु, तोर दिये सत ज्ञान ला।

काला काला मैं पढ़ावँव बाबा, तोर दिये  संविधान ला।

पोते हें बंदन लाली, पीटत हें खूब ताली

अपन भुलाये पहिचान ला।

काला काला समझावँव........


अंतरा 1- पथरा के देवता का देही तोला।-२

घट के देवा ला पूज, तर जाही चोला। -२

घोर- मंदिर मंदिर मा भटके, बीच भंवर मा अटके।...२

अपन लुटाये धन मान ला।

काला-काला समझावँव गुरु, तोर दिये सत ज्ञान ला।

काला-काला मैं पढ़ावँव बाबा, तोर दिये  संविधान ला।............


अंतरा 2- अन्धभक्ति अउ ढोंग मा लोगन हें जकड़े - २

पर ला दुलारत हें अपने बर अकड़े -२

घोर- अँधियारी मिटा दे गुरु, रसदा दिखा दे गुरु।..२

पढ़े लिखे अउ सुजान ला.....

काला-काला समझावँव गुरु, तोर दिये सत ज्ञान ला।

काला-काला मैं पढ़ावँव बाबा, तोर दिये  संविधान ला।............


अंतरा 3 - संत गुरु महापुरुष के भूलगे हें कहना।..२

करम धरम बनाये तथाकथित ला जपना।..२

घोर- मगन हें पूजा पाठ, बनगे हे मनखे काठ

पढ़त नइ हे संविधान ला...।

काला-काला समझावँव गुरु, तोर दिये सत ज्ञान ला।

काला-काला मैं पढ़ावँव बाबा, तोर दिये  संविधान ला।............

पोते हें बंदन लाली, पीटत हें खूब ताली

अपन भुलाये पहिचान ला।

काला काला समझावँव........

इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ११/१०/२०२२

पंथी गीत- *गरजे सतनामी खाँटी*


*मुखड़ा:-* पावन छत्तीसगढ़ के माटी

गरजे सतनामी खाँटी!

खड़े रहिथे सीना तान,

जे अकेला ये,

गुरु बाबा के चेला ये!

सत धरम के रखवार,

गुरु घासी के चेला ये!!...2

*अंतरा 1:-* सुमता सुमत राखे बोले सच बानी।

जोड़ा जैतखाम सादा झंडा निशानी।।

*पटक:-* जिंखर भुजा हे लोहाटी!

बज्र चौड़ा जिंखर छाती!!

खड़े रहिथे सीना तान 

जे अकेला ये।

गुरु बाबा के चेला ये!

सत धरम के रखवार,

गुरु घासी के चेला ये!!

*अंतरा 2:-* हक अधिकार लिये लड़थे लड़ाई।

जाति पाति जाने नहीं माने भाई भाई।।

*पटक:-* बने दुखिया के साथी!

धरे तेंदू सार लाठी!

खड़े रहिथे सीना तान 

जे अकेला ये।

गुरु बाबा के चेला ये!

सत धरम के रखवार,

गुरु घासी के चेला ये!!

*अंतरा 3-* बानी अमरदास धरे सत अनुवाई।

बाना बालकदास गुरु सरहा जोधाई।।

*पटक-* चले आवत हे परिपाटी!

ठोकत बैरी के दिल मा काँटी

खड़े रहिथे सीना तान

जे अकेला ये।

गुरु बाबा के चेला ये!

सत धरम के रखवार,

गुरु घासी के चेला ये।

*गीतकार:-* इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 8889747888बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


*पंथी गीत-* सतनाम आंदोलन

*मुखड़ा:-* सतनाम आंदोलन ल चलाये गुरु घासी बाबा गा।..2

जाति-पाति के भेद मिटाये गुरु घासी बाबा गा।।..2


*अंतरा 1:-* ऊँच-नीच अउ छुआछूत के, छाये रहिस हे अँधियारी।

सती प्रथा के आगी मा, जलत रहिस हे तन नारी।।

*उड़ान:-* नारी ला स्वभिमान दिलाये, गुरु घासी बाबा गा।...2

जाति-पाति के भेद मिटाये गुरु घासी बाबा गा।।..2


*अंतरा 2:-* ढोंग रूढ़ि पाखंड आडंबर, बिछे रहिस हे बन काँटा।

धरम भरम भय भूत बने, मारत राहय उँचाटा।।

*उड़ान:-* दुख मुक्ति के राह दिखाये, गुरु घासी बाबा गा।...2

जाति-पाति के भेद मिटाये गुरु घासी बाबा गा।।..2


*अंतरा 3:-* मनखे ले मनखे हा छुवावय, रंग लहू के एक होके।

पशु बरोबर जिनगी राहय, सहँय जुलुम ला रो रोके।

*उड़ान:-* एके घाट मा पानी पिलाये, गुरु घासी बाबा गा।..2

जाति-पाति के भेद मिटाये गुरु घासी बाबा गा।।..2

*रचना:-* इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 8889747888

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 13/12/23


पंथी गीत-  *धर लौ गुरु के बानी ला*

*मुखड़ा* धर लौ गुन लौ ग भइया गुरु के बानी ला।

धर लौ गुन लौ ओ दीदी गुरु के बानी ला

गुरु ज्ञानी के बानी ला, गुरु घासी के बानी ला।

गुरु बाबा के बानी ला....

धर लौ गुन लौ ग भइया गुरु के बानी ला।

धर लौ गुन लौ ओ दीदी गुरु के बानी ला।।


*अंतरा 1:-* पर नारी ला माता मानौ, पर धन बिरथा समाने।

मेहनत के दू रोटी खावव, पर दुख ला खुद जाने।

*उड़ान:-* धरौ बात सियानी ला,  सत धरम जुबानी ला।

गुरु बाबा के बानी ला।

धर लौ गुन लौ ग भइया गुरु के बानी ला।

धर लौ गुन लौ ओ दीदी गुरु के बानी ला।।


*अंतरा 2:-* जुआ चोरी ले दुरिहा रइहौ, नशा पान झन करिहौ।

खान पान जी सादा रखिहौ, सद्द मारग मा चलिहौ।।

*उड़ान:-* झन खो जिनगानी ला, तज गरब गुमानी ला।

गुरु बाबा के बानी ला।

धर लौ गुन लौ ग भइया गुरु के बानी ला।

धर लौ गुन लौ ओ दीदी गुरु के बानी ला।।

रचना:- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


पंथी गीत- *आये हवँव शरण गुरु तोर!!*

गुरु ज्ञानी बाबा मोर! करौं अरजी कर जोर!

बिगड़ी बना दे गुरु मोर! आये हवँव शरण गुरु तोर!!


*अंतरा 1:-* बीच सभा मा बाबा तोला गोहरावँव।

श्रद्धा के फूल बाबा तोला मैं चढ़ावँव।।

*उड़ान:-* कर दे दया घनघोर! देखव नैना मैं निहोर!

बिगड़ी बना दे गुरु मोर! आये हवँव शरण गुरु तोर!!


*अंतरा 2:-* तोर छोड़ मोर बाबा नइहे ग सहारा।

मोर डूबती नइया के तहीं ग किनारा।।

*उड़ान:-* मारत रहिथे मन हिलोर!

लमे रहिथे सुरता डोर!!

बिगड़ी बना दे बाबा मोर! आये हवँव शरण गुरु तोर!!


*रचना:-* इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 8889747888

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

पंथी गीत- *अमरदास गुरु अमरटापू मा*

*मुखड़ा:-* अमरदास गुरु अमरटापू मा..2

सत के करे प्रचार।

गुरु के महिमा अगम अपार।

बबा के महिमा अगम अपार।।


*मुखड़ा 1:-* सादा के खम्भा मा सादा के झंडा, सादा के दिये निशानी ला।

सादा के दिये निशानी ला।

पावन पबरित अमरित कर दिस, आगर नदी के पानी ला।।

आगर नदी के पानी ला।

*उड़ान:-* बीचे नदी मा टापू बना के, सत के बहाये धार

गुरु के महिमा अगम अपार।

बबा के महिमा अगम अपार।।


*मुखड़ा 2:-* जिला मुंगेली के पावन माटी, धरम धरा हे मोतिमपुर।

धरम धरा हे मोतिमपुर।

गावत हे गुन भगवती जी पात्रे, पंथी भजन मा धर के सुर।।

पंथी भजन मा धर के सुर।

उड़ान:- गाना लिखे गजानंद पात्रे, पावय मया दुलार!

गुरु के महिमा अगम अपार।

बबा के महिमा अगम अपार।।


*रचना-* इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 8889747888

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


पंथी गीत- *गोदी भर दे बाबा मोर*

(लड़की स्वर में)

*मुखड़ा:-* गोदी भर दे बाबा मोर झोली भर दे ग।...2

ममता के छइँहा म मोर ओली भर दे ग।।...2


*अंतरा 1:-* ठुमुक-ठुमुक रेंगय गुरु ललना मोर अँगना म।

मारय किलकारी सुघर झूल-झूल के पलना म।

*उड़ान:-* दया कर दे बाबा तैं ह मया कर दे ग।...2

दुखियारी के दुख ल बाबा तैं ह हर दे ग।।...2


*अंतरा 2:-* सुन सुन बाँझन के ताना हिरदे मोर रोवत हे।

कइसे राखँव बाँध मन ल धीरज मोर खोवत हे।

*उड़ान:-* आशा भर दे बाबा तन म साँसा भर दे ग।...2

दुखियारी के कोंख ल अमर कर दे ग।।...2


*अंतरा 3:-* बिना लोग लइका के बिरथा हे ये जिनगी।

तन-मन जलावत रहिथे बन के दुख तिलगी।।

*उड़ान:-* अँधियारी हर दे बाबा उजियारी कर दे ग।...2

हँसी-खुशी जिनगी के डगर कर दे ग।।...2


🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 8889747888

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


गुरुवार, 7 सितंबर 2023

हिंदी गीत-

7. चौपई छंद गीत- *महिमा सतगुरु अगम अपार*

रहना सदा सहाय गुरु, विनती है कर जोर।

मिटा घनेरी रात दुख, देना सुख का भोर।।


बोल-बोल जप गुरु का नाम।

घट-घट में सतगुरु का धाम।।

सत्य अहिंसा का करतार।

महिमा सतगुरु अगम अपार।।


संत शिरोमणि घासीदास।

बोले रख चल सत विश्वास।।

पद धन तन का छोड़ गुमान।

करो मनुज जग कर्म महान।।


सदा संयमित रखें जुबान

तीव्र वचन है तीर समान।।

जीवन नाम चढ़ाव उतार।

महिमा सतगुरु अगम अपार।।1


सात वचन गुरु का अनमोल।

अंतस पट दे तुरते खोल।।

ब्यालीस अमृत वाणी साँच।

कभी न आने दे दुख आँच।।


अमल करें गुरु का संदेश।

मिट जायेंगे विपदा क्लेश।।

रखें सदा सत उच्च विचार।

महिमा सतगुरु अगम अपार।।2


सत्य सनातन है सतनाम।

शांति प्रेम का दे पैगाम।।

नाम नहीं यह व्यक्ति विशेष।

मानवता सन्देश अशेष।।


एक कोंख के सब संतान।

रंग लहू तन एक समान।।

छोड़ो आपस का तकरार।

महिमा सतगुरु अगम अपार।।3


गजानंद मतिमंद अति, देना ज्ञान सुझाव।

सदा चला सत राह गुरु, भटके कहीं न पाँव।।


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 14/09/2023


6. छप्पय छंद-  *करूँ मैं गुरु की पूजा*

सजा आरती थाल, करूँ मैं गुरु की पूजा।

सतगुरु भक्ति सिवाय, जपूँ मैं और न दूजा।।

करते सदा सहाय, पड़े जब विपदा कोई।

सतगुरु जी सतनाम, जगाते किस्मत सोई।।

गुरु के चरणों में बसा, जीवन का सुख सार जी।

जाप करे सतनाम का, कम होते दुख भार जी।।1


आदि अनादि अनंत, नाम सतगुरु का गाओ।

मिटा तमस की रात, भोर खुशहाली लाओ।।

सतगुरु जी का ज्ञान, मिथक सब भ्रांति मिटाते।

सत्य अहिंसा प्रेम, कर्म का पाठ पढ़ाते।।

सतगुरु जी का है कथन, करना कर्म महान जी।

मिले नहीं कुछ भाग्य से, बनना कर्म प्रधान जी।।2


शब्द-शब्द सत सार, समाहित है गुरु वाणी।

मानव-मानव एक, एक सब जग के प्राणी।।

जाति धर्म का भेद, मिटाकर सीखो जीना।

क्रोध अहम को त्याग, प्रेम का प्याला पीना।।

सतगुरु के संदेश को, आत्मसात करके बढ़ो।

गजानंद पा गुरु कृपा, शिखर सफलता की चढ़ो।।3

🖊️ इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 11/09/2023


5. रोला छंद गीत- *सत्य आधार सहारा*

जपन करो सतनाम, सत्य आधार सहारा।

भव सागर से पार, करे गुरु नाव किनारा।।

करो सुबह शुरुआत, नाम सतगुरु का ले कर।

भक्ति भाव के फूल, समर्पित गुरु पग दे कर।।


रख कर नेक विचार, उठाना निस दिन पग को।

दया धर्म उपकार, राह दिखलाना जग को।।

बढ़े सदा सद्भाव, आपसी भाईचारा।

जपन करो सतनाम, सत्य आधार सहारा।।1


आशाओं का दीप, जलाये दिल में रखना।

रखना संयम धीर, कर्म फल मीठा चखना।।

नींव बना विश्वास, चढ़ाना श्रम का गारा।

जपन करो सतनाम, सत्य आधार सहारा।।2


सत्य अहिंसा प्रेम, रहे आभूषण सबका।

दीन दुखी लाचार, रहे मत कोई तबका।।

गजानंद मन शांति, रखे सब करें गुजारा।

जपन करो सतनाम, सत्य आधार सहारा।।3

🖊️ इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/09/2023


4. सोरठा छंद गीत- *आया हूँ गुरु मैं शरण*

भक्ति करूँ बन दास, आया हूँ गुरु मैं शरण।

बस इतनी है आस, सदा मिले गुरु जी चरण।।


रहे सत्यता भाव, मन में सोच विचार में।

आये नहीं दुराव, अपनों से व्यवहार में।।

मैं का गड़े न फाँस, निर्मल हो मन आचरण।

भक्ति करूँ बन दास, आया हूँ गुरु मैं शरण।।1


जपन करूँ सतनाम, रोज सबेरे शाम को।

जग को दूँ पैगाम, बसा हृदय गुरु नाम को।।

जीवन की हर साँस, करो नाम गुरु का वरण।

भक्ति करूँ बन दास, आया हूँ गुरु मैं शरण।।2


गुरु जी कृपा निगाह, रखना मेरे काम में।

आशिष की सुख स्याह, भरना कलम कलाम में।।

गुरु ही छंद समास, जीवन का गुरु व्याकरण।

भक्ति करूँ बन दास, आया हूँ गुरु मैं शरण।।3

🖊️ इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 09/09/2023


3. चन्द्रमणि छंद गीत- *दीप जलाऊँ आस का*

शीश झुकाऊँ नित्य मैं, सतगुरु के दरबार में।

दीप जलाऊँ आस का, मन मंदिर के द्वार में।।


दिखलाना सत राह नित, करना सदा सहाय गुरु।

मन में रहे न लोभ भ्रम, करना आप उपाय गुरु।।

जीवन हँसी खुशी कटे, पर सेवा उपकार में।

दीप जलाऊँ आस का, मन मंदिर के द्वार में।।1


भक्ति भाव मन में जगा, जाप करूँ सतनाम का।

कृपा दृष्टि हो आपका, जीवन हो कुछ काम का।।

करता समय सचेत नित, पाया सांस उधार में।

दीप जलाऊँ आस का, मन मंदिर के द्वार में।।2


बिरवा सत का दूँ लगा, मेरे मन की चाह है।

मुझे पता है आपका, मुझ पर दया अथाह है।।

गजानन्द गुरु से बड़ा, देव नहीं संसार में।

दीप जलाऊँ आस का, मन मंदिर के द्वार में।।3

🖊️ इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 08/09/2023


2. सरसी छंद गीत- *कर लो सब सतनाम सुमरनी*

कर लो सब सतनाम सुमरनी, मिट जायेंगे पीर।

आशाओं का भोर उगेगा, रखे चलो मन धीर।।


तुझमें मुझमें सब में बसते, सार नाम सतनाम।

सच्चे मन से भक्ति करो नित, हृदय बना गुरु धाम।।

सतनाम में अडिग है जल थल, पावक गगन समीर।

कर लो सब सतनाम सुमरनी, मिट जायेंगे पीर।।


कर्म बिना सब शून्य निरर्थक, इस जीवन का मूल।

हार मिले या जीत मिले जी, करो सहर्ष कबूल।।

सद्कर्मों से चमक उठेगा, मानव मन तस्वीर।

कर लो सब सतनाम सुमरनी, मिट जायेंगे पीर।।2


दुखदायी माया का साया, दुखदायी धन चाह।

परमार्थ लिए परहित सेवा, रखना टिका निगाह।।

गजानंद मिलना है मिट्टी, राजा रंक फकीर।

कर लो सब सतनाम सुमरनी, मिट जायेंगे पीर।।3

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 07/09/2023


1. कुकुभ छंद गीत- आया हूँ गुरु शरण तुम्हारे

आया हूँ गुरु शरण तुम्हारे, उलझन मेरे सुलझाना।

धीर धराना मन को मेरे, कष्ट निवारण कर जाना।।


घट घट कण कण जीव चराचर, वास तुम्हारा रहता है।

अज्ञानी बन मानव मन क्यों, दर दर ढूँढ भटकता है।।

खड़े सामने गुरु जी तेरे, भक्ति भाव से है पाना।

आया हूँ गुरु शरण तुम्हारे, उलझन मेरे सुलझाना।।1


दुख हर्ता गुरु प्रेम प्रदाता, जग के पालनहारी हैं।

सत्य प्रवर्तक युगों युगों का, युक्ति मुक्ति अवतारी हैं।।

दीन गरीब अमीर सभी को, देते दाता सुख दाना।

आया हूँ गुरु शरण तुम्हारे, उलझन मेरे सुलझाना।।2


मैं से हुआ विनाश सभी का, मैं की पड़े न परछाई।

भाईचारा रहे आपसी, मिटे कुमत की दुख खाई।।

कोई बड़ा न कोई छोटा, गजानंद सच समझाना।

आया हूँ गुरु शरण तुम्हारे, उलझन मेरे सुलझाना।।3

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 06/09/2023


सरसी छंद गीत- *मतदान*

सोच समझकर करना मत का, मतदाता मतदान।

एक एक मत का कीमत है, रखना इतना ध्यान।।


पार्टीगत से ऊपर उठकर, करना मत निष्पक्ष।

लालच देकर मत हासिल में, रहते नेता दक्ष।।

तेरे मत से ही तो सम्भव, जग जन का कल्याण।

सोच समझकर करना मत का, मतदाता मतदान।।1


परम हितैषी जनता का बन, नेता माँगे भीख।

पाँच साल तक हुए नहीं जो, दुख में कभी सरीख।।

जाति धर्म का ओढ़ मुखौटा, बेचें यें ईमान।

सोच समझकर करना मत का, मतदाता मतदान।।2


राजसिंहासन पाकर नेता, नाचे नंगा नाच।

इनके रहते संविधान पर, आते कैसे आंच।।

एक थाल के चट्टे बट्टे, है सबको यह भान।

सोच समझकर करना मत का, मतदाता मतदान।।3


है कहाँ सरोकार इन्हें सच, हक मुद्दा अधिकार।

भूख गरीबी महँगाई से, जनता नित लाचार।।

गजानंद अंधभक्त फिर भी, गाते हैं गुणगान।

सोच समझकर करना मत का, मतदाता मतदान।।4


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 13/09/2023

मयूरशिखा छंद-

*मयूर शिखा (अर्ध सममात्रिक छंद)* नव प्रस्तारित आधार छंद है। *कुल मात्रा -- 54* *यति-- 14,13* *पदांत- IIS* *मापनी--- SSS-SSS-S, SSIS-SIIS* ( ...