बुधवार, 26 सितंबर 2018

सार छंद गीत

*ये पितर के मनइ लगथे, मोला जी बइहासी*

जीयत लोटा पानी तरसे, मरे म मथुरा काशी।
देख चरित्तर ये दुनिया के, आवत हे बड़ हाँसी।
ये पितर के मनइ लगथे, मोला जी बइहासी।1।

जीयत भूखन लाँघन तरसे, मरे म चीला बबरा।
करिया कउँवा बाप बने हे, हत रे मानुष लबरा।
ताते तात कुकुर बिलई बर, पुरखा खावय बासी।
ये पितर के मनइ लगथे, मोला जी बइहासी।2।

जीयत मीठा बोली तरसे, दउड़े लेकेे डंडा।
तर जही हमर पुरखा कहिके, पिंड पराये पंडा।
राह धरे हे मनखे कइसे, मन हे मोर उदासी।
ये पितर के मनइ लगथे, मोला जी बइहासी।3।

जीयत तन लंगोटी तरसे, मरे म धोती कुरता।
जीयत सेवा करे नही अउ, मरे म करथस सुरता।
इही बात ला बोले हावय, मोर संत गुरु घासी।
ये पितर के मनइ लगथे, मोला जी बइहासी।4।

(सर्वाधिकार सुरक्षित)
रचना:-इंजी.गजानंद पात्रे *सत्यबोध*
          10-09-2017

बुधवार, 15 अगस्त 2018

चौपाई छंद


वीर शहीद दिये  कुरबानी, शत शत नमन इँखर बलिदानी।
देश धरम राखँय पहिचानी, अर्पन कर दिए सरी जिनगानी।1।

वीर भगत सिंह चढ़गे फाँसी, खूब लड़य मर्दानी झाँसी।
लाल बाल पाल चंद्रशेखर, देख फिरंगी काँपय थरथर।2।

गरम नरम दल अहिंसावादी, एक साथ मिल करिन अजादी।
सपना सुघ्घर आँख सँजोवय, सोन चिरइँया भारत होवय।3।

माह अगस्त क्रांतिवादी, पन्द्रह तारीख लिन अजादी।
सन सैंतालीस खुशी छागे, छोड़ देश अंग्रेजी भागे।4।

देश अजादी परब मनाबो, लाल किला मा धज फहराबो।
देश भक्ति के गीत सुनाबो, शान तिरंगा मान बढ़ाबो।5।

केसरिया रंग चुनर घानी, राह बतावय त्याग निशानी।
श्वेत रंग हे शांति निशाना, हरा रंग समृद्धि बताना।6।

चंदन जइसे जेकर माटी, पहरादार हिमालय घाटी।
भारत भुइँया सोन चिरइँया, चरन पखारय गंगा मइँया।7।

पर अब देखव हालत भारी, झूठ पाप मारत किलकारी।
बात भुलागे सबो सियानी, राजनीति के चलत कहानी।8।

सपना भारत आज उजड़गे, मनखे हा मनखे बर अड़गे।
जाति धरम बर लड़त लड़ाई, हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई।9।

एक धरम बस देश धरम हो, देश बिकास सबके करम हो।
तब होबो हम भाई भाई, हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई।10।

(सर्वाधिकार सुरक्षित)
इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

मयूरशिखा छंद-

*मयूर शिखा (अर्ध सममात्रिक छंद)* नव प्रस्तारित आधार छंद है। *कुल मात्रा -- 54* *यति-- 14,13* *पदांत- IIS* *मापनी--- SSS-SSS-S, SSIS-SIIS* ( ...