माहिया छंद- गुरु मंत्र
महिमा सत का गाओ।
नहीं भटकना तुम,
गुरु चरणों में आओ।।
कब कौन अकेला है।
सुख दुख है साथी,
यह जीवन रेला है।।
सबसे हँसना मिलना।
द्वेष नहीं रख मन।
सद्भाव रखे चलना।।
रख मन गहरा सागर।
छोट बड़े सबका,
करना इज्जत आदर।।
जपो कर्म का जय माला।
भाग्य भरोसे कब,
फैला यहाँ उजाला।।
सब हैं भाई-भाई।
हिन्द बसे हिन्दू,
मुस्लिम सिख ईसाई।।
गुरु मंत्र बताता है।
गजानंद पात्रे,
जीना सिखलाता है।।
इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 01/09/22
माहिया छंद- यह ध्येय हमारा है
सतनाम सहारा है।
अलख जगे सत का,
यह ध्येय हमारा है।।
सच राह दिखाये हैं।
सत्य अहिंसा का,
गुरु पाठ पढ़ाये हैं।।
मनु जग भरमाये हैं।
एक समान सभी।
एक द्वार आये हैं।।
जग जाति बिगाड़ा है।
एक सभी मानव,
एक चाम हाड़ा है।।
भ्रम जग जन पकड़े हैं।
क्यों धर्म जाति की,
जंजीरे जकड़े हैं।।
सच कहने डरते हैं।
जानबूझकर क्यों,
नासमझी करते हैं।।
यह तन नहिं अविनाशी।
करो घमंड नहीं,
बोले सतगुरु घासी हैं।।
इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 31/08/22
माहिया छंद- गुरु का दर्जा
किसको अपना मानें।
कौन पराया है,
कैसे हम पहचानें।।
मतलब से नातें हैं।
काम सधे फिर तो,
औकात दिखाते हैं।।
खुद को न समझ ज्ञानी।
याद रहे पर यह,
मिट जाते अभिमानी।।
ऊँचा गुरु का दर्जा।
चुका नही सकते,
कभी ज्ञान का कर्जा।।
छोड़ सत्य की राहें।
थाम नहीं चलना,
तुम झूठों के बाहें।।
रहे ख्याल निष्ठा का।
लालच मत रखना,
पद मान प्रतिष्ठा का।।
सच को कहना सीखो।
बीच गीदड़ों के,
तुम व्यर्थ नहीं चीखो।।
इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 30/08/22