बुधवार, 20 मार्च 2024

रास छंद- सममात्रिक

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      🌀 *बिलासा छंद महालय* 🐚 

*दिनांक -- 18/03/2024*

*दिन -- सोमवार*

*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*लक्षण- मापनी मुक्त*

*परिचय-- महारौद्र वर्ग भेद (28,657)*

*यति -- 8,8,6*

*पदांत-- IIS (सगण)*

*सृजन शब्द-- *लट बलखाती*

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लट बलखाती, कमर हिलाती, राह चले।

अधर गुलाबी, नैन शराबी, शाम ढले।।

दीवानी बन, चलती बन-ठन, गाँव गली।

जब मुस्काये, तीर चलाये, प्रेम कली।।


चाँद चकोरी, लगती गोरी, रूप सजे।

छम-छम पायल, करती घायल, पाँव बजे।।

छैल छबीली, उसकी बोली, प्रीत भरे।

रूप निखरती, जब वो हँसती, फूल झरे।।


देखा जब से, कायल तब से, यार हुआ।

तूने मन को, इस जीवन को, रोज छुआ।।

चाह अधूरी, कर दो पूरी, है सपना।

मन में ठाना, तुझको माना, प्रिय अपना।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 18/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- *दर्शन पाऊँ*

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दर्शन पाऊँ, शीश झुकाऊँ, भाव भरो।

सतगुरु ज्ञानी, हो वरदानी, कष्ट हरो।।

शब्द सुझाओ, ज्ञान बताओ, ध्यान धरूँ।

छंद सृजन हो, पुलकित मन हो, आस भरूँ।।


शरण पड़ा हूँ, द्वार खड़ा हूँ, गुरु वर दो

मैं अज्ञानी, हूँ नादानी, कृत कर दो।।

है अभिलाषा, ज्ञान पिपासा, गुरुवर से।

मिटे निराशा, भरो दिलासा, गुण बरसे।।


कलम उदित हो, मीत मुदित हो, चाह यही।

पाँव बढ़े सच, ईर्ष्या से बच, सोच सही।।

नष्ट अहं का, क्रोध वहम का, गुरु करना।

दीन-दुखी जन, सेवा ही धन, गुण भरना।।


🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 19/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- दर्शन पाऊँ*

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दर्शन पाऊँ, शीश झुकाऊँ, भाव भरो।

मातु भवानी, हो वरदानी, कष्ट हरो।।

शब्द सुझाओ, ज्ञान बताओ, ध्यान धरूँ।

छंद सृजन हो, पुलकित मन हो, आस भरूँ।।


शरण पड़ा हूँ, द्वार खड़ा हूँ, माँ वर दो

हूँ अज्ञानी, माता रानी, कृत कर दो।।

है अभिलाषा, ज्ञान पिपासा, गुरुवर से।

छंद बिलासा, भरे दिलासा, गुण बरसे।।


कलम उदित हो, मीत मुदित हो, चाह यही।

पाँव बढ़े सच, ईर्ष्या से बच, सोच सही।।

नष्ट अहं का, क्रोध वहम का, माँ करना।

दीन-दुखी जन, सेवा ही धन, गुण भरना।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 19/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- *जग कल्याणी*

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जग कल्याणी, वीणापाणी, ज्ञान भरो।

शब्द भाव का, नेह नाव का, दान करो।।

राग ताल दो, भक्ति भाल दो, प्रेम सुधा।

लोभ घटे माँ, फाँस कटे माँ, प्यास क्षुधा।।


कमल विराजे, शोभा साजे, दीप्ति लिये।

सबके मन को, जन जीवन को, तृप्ति किये।।

मैं अनुरागी, दुख का भागी, दीन पड़ा।

कृपा करो माँ, ध्यान धरो माँ, द्वार खड़ा।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 19/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- *बिटिया बोली*

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बिटिया बोली, बन रंगोली, रंग भरूँ।

द्वार सजाऊँ, घर महकाऊँ, नाम करूँ।।

धर्म रीति का, नीति प्रीति का, पाठ पढूँ।

नित वैज्ञानिक, संवैधानिक, राह बढूँ।।


तोड़ निराशा, ज्ञान पिपासा, चाह रखूँ।

छोड़ कपट छल, सत्य कर्म फल, नित्य चखूँ।।

स्वाभिमान का, स्वयं आन का, ढाल बनूँ।

मातु पिता का, नवोदिता का, भाल बनूँ।।


बेटी से कल, देती सुख पल, मान करो।

छुए ऊँचाई, बढ़े बड़ाई, भान भरो।।

गजानंद को, रास छंद को, गर्व रहे।

हर इक बेटी, सुख की पेटी, लोग कहे।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 20/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

सृजन शब्द- विश्व विधाता

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विश्व विधाता, जन्म प्रदाता, ध्यान धरो।

शरण पड़ा हूँ, द्वार खड़ा हूँ, कष्ट हरो।।

निर्झर काया, मोह समाया, लोभ भरा।

दूर करो दुख, भर दो जग सुख, धन्य धरा।।


दर-दर भटका, गुरु बिन अटका, पथ न मिला।

बाग अचेतन, नीर न वेदन, फूल खिला।।

भक्ति मंद का, द्वेष द्वंद का, नाश करो।

मंगल सबका, सुख हर तबका आस भरो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 20/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द- रंग लगाओ*

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रंग लगाओ, खुशी मनाओ, चाह भरो।

गले लगाओ, बैर भुलाओ, प्रेम करो।।

खेलो होली, मिल हमजोली, गाँव गली।

इतराये हैं, मुस्काये हैं, फूल कली।।


कर तैयारी, ले पिचकारी, लोग चले।

हो बेताबी, गाल गुलाबी, रंग मले।

ऐ-दीवानों, बुरा न मानों, हाथ बढ़ा।

सराररा का, परम्परा का, रंग गढ़ा।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 21/03/24

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- *दीप जलाओ*

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दीप जलाओ, खुशी मनाओ, भान भरो

झूम उठो सब, खुशियाँ ले अब, गान करो।।

राम हमारे, द्वार पधारे, मान करो।

कर लो दर्शन, अर्पण कर मन, ध्यान धरो।।


अवधपुरी में, धर्म धुरी में, दीप जला।

पुलकित हैं सब, बोले सब अब, कष्ट टला।।

है दीवाली, की खुशहाली, झूम कहो।

हृदय हमारे, प्रभु जी प्यारे, आप रहो।।


भक्त पुकारे, राह निहारे, द्वार खड़े।

कृपा करो प्रभु, कष्ट हरो प्रभु, नैन पड़े।।

राह दिखाओ, ज्ञान लखाओ, है विनती।

इस दुनिया में, लो दुखिया में, कर गिनती।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 22/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- *छोड़ बहकना*

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छोड़ बहकना, राह भटकना, ध्यान धरो।

धन्य धाम का, राम नाम का, जाप करो।।

सुख के दाता, भाग्य विधाता, सब कहते।

दया दृष्टि से, शांति वृष्टि से, सुख भरते।।


पालनकर्ता, प्रभु दुखहर्ता, नाम पड़ा।

भक्त तुम्हारे, कृपा निहारे, द्वार खड़ा।।

हमें उबारो, पार लगाओ, बैतरणी।

भटक रहा हूँ, विघ्न सहा हूँ, सुख धरणी।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 22/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक

*सृजन शब्द-- *चहके चिड़िया*

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चहके चिड़िया, उड़-उड़ बिड़िया, खेल करे।

चीं-चीं बोले, हिय पट खोले, भाव भरे।।

पंख पसारे, नीड़ निहारे, राह तके।

शाम ढले जब, लौटे घर तब, पंख थके।।


गरमी आई, प्यास बढ़ाई, भूख बढ़े।

दाना-पानी, रखना छानी, धूप चढ़े।।

फुदक-फुदक घर, उदक-उदक कर, अन्न चुगे।

पेट पले कह, उड़े चले वह, भोर उगे।।


गाँव-गली भी, फूल-कली भी, मौन हुए।

पेड़ कटे हैं, छाँव घटे हैं, स्वार्थ छुए।।

इसीलिए तो, दूर किये तो, घर अपना।

छाँव दिलाओ, नीड़ बचाओ, खग सपना।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 23/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- *रास रचाये*

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रास रचाये, मन हरसाये, नंद लला।

धीरे-धीरे, यमुना तीरे, कृष्ण चला।।

मदन मुरारी, हो बलिहारी, ग्वाल सखे।

खोवा-खाई, दूध मलाई, साथ चखे।।


वृंदावन में, राधा मन में, प्रीत भरा।

गोकुल पावन, अति मनभावन, धन्य धरा।।

मित्र सुदामा, तन-मन श्यामा, के रहते।

सुख में दुख में, सम सम्मुख में, सब सहते।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 23/03/2024

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*आधार छंद-- रास छंद सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- *फागुन बीता *

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फागुन बीता, मन को जीता, रंग लिए।

सुख उत्सव का, दिन अनुभव का, संग दिए।।

इस होली में, हमजोली में, रंग उड़ा।

गले मिले सब, स्नेह मिला तब, मीत जुड़ा।।


मस्ती फागुन, फगुआ की धुन, याद रहे।

फिर से आना, धूम मचाना, लोग कहे।।

अति मनभावन, होली पावन, पर्व हुआ।

अंतर्मन को, इस जीवन को, रंग छुआ।।


🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 26/03/2024










मंगलवार, 12 मार्च 2024

पीयूष वर्ष/आनंदवर्धक सममात्रिक छंद

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*दिनांक -- 11/03/2024*

*दिन -- सोमवार*

*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*परिचय-- महा पौराणिक वर्ग भेद (6765)*

*मापनी -S|SS-SISS-S|S*

*पदांत-- |S, |||*

*सृजन शब्द-- मुस्कुराते आ रहे वो सामने (3 युग्म)*

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मुस्कुराते आ रहे वो सामने।

साथ चलने हाथ मेरा थामने।।

बावरा बन ख्याल में खोया रहा।

प्रीत पीड़ा रात दिन मैं तो सहा।।


है पराया कौन किसका मीत है।

दर्द अपनों से मिला जग रीत है।।

पूछते हैं लोग दुख में अब कहाँ।

बन गए सब मतलबी रिश्तें यहॉं।।


शूल बनकर चुभ रहा अब फूल है।

दिल लगाना आशिकी में भूल है।।

तोड़ना मत दिल खिलौना जानकर।

पूज लो प्रिय प्यार को प्रभु मानकर।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 11/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- भूल क्या हमसे हुई है ये बता (3 युग्म)*

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भूल हमसे क्या हुई है ये बता।

प्यार तुमसे जो नहीं पाया जता।।

दे रही हो क्यों सजा तुम इस कदर।

मत चुराओ आज प्रिय हमसे नजर।।


प्रेम प्यासा राह परवाना बना।

है विरोधी कोहरा पथ में घना।।

उड़ रहा पंछी बने आकाश में।

आ चले आओ सनम तुम पास में।।


प्यार का कर दूँ झड़ी पल-पल घड़ी।

क्यों सनम जिद पर अभी तक हो अड़ी।।

हूँ दिवाना आपका पहचान लो।

प्रेम में क्या प्रेम है तुम जान लो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 11/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- मुस्कुराने का बहाना चाहिए।(3 युग्म)*

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मुस्कुराने का बहाना चाहिए।

प्रीत का हर पल तराना चाहिए।।

बांट लो तुम ज़िन्दगी में सुख सभी।

भूल से करना शिकायत मत कभी।।


फूल खुशियों के खिले कर कामना।

दीन-दुखियों को उठाना थामना।।

पग बढ़ाना जानने पर पीर को।

नैन से बहने न दें सुख नीर को।।


रख भरोसा आत्म पर कर श्रम सदा।

कर्ज गुरु माता-पिता का कर अदा।।

प्रार्थना प्रभु का करें उपकार लें।

कर कृपा भव से हमें वे तार लें।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 12/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- जीत होगी ठान कर आगे बढ़ो ।(2 युग्म)*

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जीत होगी ठान कर आगे बढ़ो।

नित्य नव आयाम जीवन में गढ़ो।।

देखना मत लौटकर कल को कभी।

ज़िन्दगी में जो करें कर लें अभी।।


है समय बलवान इतना जान लो।

क्या बुरा है क्या भला पहचान लो।।

सीख लें दुख में स्वयं को थामना।

हर घड़ी सुख ही मिले कर कामना।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 12/03/2024

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आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- अनछुए मन को कभी पहचानिए ।(3 युग्म)*

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अनछुए मन को कभी पहचानिए।

क्या छुपा है राज इतना जानिए।।

दर्द में गमगीन या सुख में मगन।

दिल जलाता है गरीबी की अगन।।


मत करो धन रूप का अभिमान तुम।

अन्न भूखे को मिले दो ध्यान तुम।।

नीर प्यासे को पिला उपकार कर।

राह भटके को बता उद्धार कर।।


दो जरूरतमंद को ही दान तुम।

नित बसा खुद के हृदय भगवान तुम।।

है गरीबी दुख बला सच मानिए।

अनछुए मन को कभी पहचानिए।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 13/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- प्यार की बरसात होने दीजिए (2 युग्म)*

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प्यार की बरसात होने दीजिए।

आज हमको होश खोने दीजिये।।

याद तुमको हर घड़ी हर पल किये।

जी रहे थे स्वप्न हमनें जी लिये।।


है अनोखा प्यार अपना जान लो।

प्रीत जीवन भर निभाना ठान लो।।

साथ मत छूटे कभी वादा करो।

हो भले दुश्मन जमाना मत डरो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 13/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- बंधनों से मुक्त, सारे चल पड़े (3 युग्म)*

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बंधनों से मुक्त, सारे चल पड़े।

भावनों से युक्त, मोती मन जड़े।।

छोड़ना मत साथ, अपनों का कभी।

मान घर परिवार, रख लेना सभी।।


छाँव गुरु माँ बाप, सबको नित मिले।

कृत दया का फूल, निज मन में खिले।। 

बात रखना ध्यान, सेवा भव भरे।

भाव हित उपकार, करुणा मत मरे।।


बांटना जग प्रेम, प्रभु का नाम दे।

जोड़ना सम्बन्ध, सुख-दुख काम दे।।

मत बिछाना शूल, जीवन राह में।

ज़िन्दगी अनमोल, रख सुख चाह में।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 14/03/2024

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बंधनों से मुक्त, सारे चल पड़े।

भावनों से युक्त, मोती मन जड़े।।

छोड़ना मत साथ, अपनों का कभी।

मान घर परिवार, रख लेना सभी।।


छाँव गुरु माँ बाप, सबको नित मिले।

कृत दया का फूल, निज मन में खिले।। 

बात रखना ध्यान, सेवा भव भरे।

भाव हित उपकार, करुणा मत मरे।।


बांटना जग प्रेम, गुरु का नाम दे।

जोड़ना सम्बन्ध, सुख-दुख काम दे।।

मत बिछाना शूल, जीवन राह में।

ज़िन्दगी अनमोल, रख सुख चाह में।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 14/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- चापलूसों की बढ़े नित शान है ।(2 युग्म)* !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

चापलूसों की बढ़े नित शान है।

अंधभक्तो का चढा परवान है।।

शोर चमचा आजकल करते फिरे।

हैं विवादों में सदा नेता घिरे।।


दास जनता बन गए लाचार हो।

बन गए कानून जब गद्दार हो।

आबरू की कौन रखवाली करे।

आमजन भयभीत दिखते हैं डरे।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 14/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- लोकरंजन छोड़, निज पहचान कर।(2 युग्म)*

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लोकरंजन छोड़, निज पहचान कर।

प्रीत सबसे जोड़, मत अभिमान कर।।

लालसा को त्याग, पद धन देह का।

कर सदा बरसात, जग जन नेह का।।


हो सरल व्यवहार, मीठा रख वचन।

है गरल कटु बोल, खुद में कर पचन।।

कर्म नेकी चाह, जीवन ध्येय हो।

मत बुरा कर काम, होता हेय हो।।

🖊️इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 15/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- नित्य उत्सव मान, जीवन कर सफल।(3)

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नित्य उत्सव मान, जीवन कर सफल।

कर समय उपयोग, लौटे फिर न कल।।

चल भलाई राह, गति दो कर्म को।

नीति जीवन सार, समझो मर्म को।।


लो समझ पर पीर, दो सुख छाँव को।

प्राप्त हो सुख धाम, भज प्रभु पाँव को।।

सत्य ही भगवान, कण-कण सत्य है।

सार है प्रभु राम, जन-जन कथ्य है।।


ऊँच रखकर लक्ष्य, मंजिल पार कर।

जो मिले परिणाम, विचलित हो न डर।।

हो उदय नव भोर, पथ सुख का मिले।

मीत मन का फूल, जीवन में खिले।।

🖊️गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 16/03/2024

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नित्य उत्सव मान, जीवन कर सफल।

कर समय उपयोग, लौटे फिर न कल।।

चल भलाई राह, गति दो कर्म को।

नीति जीवन सार, समझो मर्म को।।


लें समझ पर पीर, दें सुख छाँव को।

प्राप्त हो सुख धाम, भज गुरु पाँव को।।

तन खजाना सत्य, घट-घट सत्य है।

सार है सतनाम, जन-जन कथ्य है।।


ऊँच रखकर लक्ष्य, मंजिल पार कर।

जो मिले परिणाम, विचलित हो न डर।।

हो उदय नव भोर, पथ सुख का मिले।

मीत मन का फूल, जीवन में खिले।।

🖊️गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 16/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- अब शिकायत आपसे हम क्या करें ।(2 युग्म)*

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

क्यों समझ पाई नहीं हो प्यार को।

साथ मेरे चाह की इजहार को।।

अब शिकायत आपसे हम क्या करें ।

दूर हो हम रात-दिन आहें भरें।।


बन पुजारी प्रेम का फिरता रहा।

साथ पाने आपका हर गम सहा।।

आँसुओं की रात देकर चल दिये।

जी नहीं पाऊँ कभी वो पल दिये।।


रोग दिल में प्यार का बैठा लगा।

था नहीं मालूम वो देगी दगा।।

चाहता है दिल उसे देना दुआ।

भूल कर ये साथ मेरे क्या हुआ।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 16/03/2024

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*आधार छंद--  पीयूष वर्ष/ आनंदवर्धक सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- अब शिकायत आपसे हम क्या करें ।(3 युग्म)*

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

क्यों समझ पाई नहीं हो प्यार को।

साथ मेरे चाह की इजहार को।।

अब शिकायत आपसे हम क्या करें ।

दूर हो हम रात-दिन आहें भरें।।


बन पुजारी प्रेम का फिरता रहा।

साथ पाने आपका हर गम सहा।।

आँसुओं की रात देकर चल दिये।

जी नहीं पाऊँ कभी वो पल दिये।।


रोग मन में प्यार का बैठा लगा।

था नहीं मालूम वो देगी दगा।।

चाहता है दिल उसे देना दुआ।

भूल कर ये साथ मेरे क्या हुआ।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 16/03/2024







गुरुवार, 7 मार्च 2024

शक्ति/संज्वर सममात्रिक छंद-

*दिनांक -- 04/03/2024*

*दिन -- सोमवार*

*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*लक्षण- मापनी मुक्त*

*परिचय-- पौराणिक वर्ग भेद (4091)*

*मापनी -|SS-|SS-|SS-|S*

*पदांत-- |S, या |||*

*सृजन शब्द--नहीं दूर जाना हमारी कसम (3 युग्म)*

*आओ सृजन करें - नव पथ गमन करें*

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नहीं दूर जाना हमारी कसम।

जुदाई नहीं सह सकेंगे सनम।।

तुम्हीं से बहारें खिला है चमन।

तुम्हीं से नजारें सजे हैं नयन।।


कभी पास आकर हमें थाम लो।

निगाहें उठाकर प्रिये नाम लो।।

समाँ बन जला हूँ विरह रात में।

हटाओ हया इस मुलाकात में।।


चकोरी प्रिये प्रीत मन को छुआ।

नहीं होश मदहोश चातक हुआ।।

बुझी प्यास जन्मों-जनम की अभी।

शिकायत करेंगे न फिर हम कभी।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 04/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*लक्षण- मापनी मुक्त*

*परिचय-- पौराणिक वर्ग भेद (4091)*

*मापनी -|SS-|SS-|SS-|S*

*पदांत-- |S, |||*

*सृजन शब्द--नहीं दूर जाना हमारी कसम (3 युग्म)*

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नहीं दूर जाना हमारी कसम।

निभाना पड़ेगा तुम्हें हर रसम।।

हृदय में सदा प्रेम चाहत भरूँ।

सलामत रहो तुम दुआ मैं करूँ।।


मुसाफिर बना चाह की राह में।

अकेला हुआ प्रीत परवाह में।।

तलाशा तुझे गाँव घर हर शहर।

सुबह शाम दिन रात मैं दोपहर।।


सताती मुझे है मिलन की घड़ी।

लगी है गमों की नयन में झड़ी।।

जरा पास आओ बुझा प्यास दो।

निशानी मुझे आशिकी खास दो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ ) 04/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*सृजन शब्द--महालय सिखाता हमें छंद है.(3 युग्म)*

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महालय सिखाता हमें छंद है।

बनाता सभी को हुनरमंद है।।

करें वंदना नित्य माँ भारती।

उतारें सजा थाल को आरती।।


जहाँ आपसी प्रेम बगियाँ खिले।

सदा मान व्यवहार आदर मिले।।

दिखाई कभी भी न दे द्वंद है।

सभी में भरा ज्ञान मकरंद है।।


मुझे मीत सानिध्य गुरुवर मिला।

हृदय में कृपा फूल तरुवर खिला।।

करे याचना नित गजानंद है।

करें भूल को माफ मतिमंद है।।

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महालय सिखाता हमें छंद है।

धरे ज्ञान गुरु का गजानंद है।।

लिखें मापनी में रखे भाव को।

करें पार गुरु जी कलम नाव को।।


सभी साधकों में यहाँ प्रेम है।

मिला मान व्यवहार में नेम है।।

भरा भाव बंधुत्व सबमें यहाँ।

मिलेगा पटल इस तरह भी कहाँ।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 05/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

* शब्द--भला सर्व का हो करें प्रार्थना (3 युग्म)*

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भला सर्व हो हम करें प्रार्थना।

मनोकामना पूर्ण यह अर्चना।।

चलें राह सच हम भलाई करें।

बुरी है बला आप हम सब डरें।।


अहं क्रोध अभिमान को त्याग दें।

सभी से मिलें मीत अनुराग दें।।

मिली जिंदगी है यहाँ चार पल।

किसे क्या पता शाम दिन रात कल।।


हुआ मतलबी आज इंसान है।

दिखावा हुआ मान पहचान है।।

गलत और सच का नहीं ज्ञान है।

गजानंद मदमस्त संतान है।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 05/03/2024

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*दिनांक -- 06/03/2024*

*दिन -- बुधवार*

*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*लक्षण- मापनी मुक्त*

*परिचय-- पौराणिक वर्ग भेद (4091)*

*मापनी -|SS-|SS-|SS-|S*

*पदांत-- |S, |||*

*सृजन शब्द--किनारा मिलेगा रहो साथ तुम।.(3 युग्म)*

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किनारा मिलेगा रहो साथ तुम।

सफर जिंदगी थामना हाथ तुम।।

मिलेंगे कभी फूल काँटे कभी।

रखे हैं कदम प्यार में हम अभी।।


निहारूँ तुझे मैं बसा नैन में।

पुकारूँ तुझे प्रिय सुबह रैन में।।

लगा लो गले से बुझा प्यास दो।

तुम्हारा रहूँ प्रेम विश्वास दो।।


बसंती बहारें लगन है लगी।

मुझे चाह साजन मिलन की जगी।।

उठे हूक दिल में विरह की घड़ी।

चली लौट आ प्रीत की कर झड़ी।।

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*दिनांक -- 06/03/2024*

*दिन -- बुधवार*

*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*लक्षण- मापनी मुक्त*

*परिचय-- पौराणिक वर्ग भेद (4091)*

*मापनी -|SS-|SS-|SS-|S*

*पदांत-- |S, |||*

*सृजन शब्द- पधारे अवध में सिया राम है।(3 युग्म)*

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पधारे अवध में सिया राम है।

अधर में उसी का सदा नाम है।।

सहारा करो प्रभु शरण हूँ पड़ा।

प्रतीक्षा लिए नाथ हूँ मैं खड़ा।।


किया हूँ समर्पण हृदय भाव से।

करो पार मझधार कृत नाव से।।

रहो आप उर में कृपा धाम बन।

मनोहर मुरारी सुधा श्याम बन।।


परायण बनूँ मैं करूँ साधना।

कहीं भूल हो तो वहाँ थामना।।

जला ज्योति मन में उजाला करो।

करूँ प्रार्थना क्लेश तम को हरो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 06/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

 *सृजन शब्द-- कभी तो मुझे भी ठिकाना मिले (3 युग्म)*

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कभी तो मुझे भी ठिकाना मिले।

सफर जिंदगी का सुहाना मिले।।

बना मैं पथिक बस अकेले चला।

कभी धूप गर्मी अगन में जला।।


शिकायत नहीं है किसी से कभी।

किया पार मंजिल स्वयं से अभी।।

सभी की दुआ से मिली जीत है।

करूँ मान आभार प्रिय मीत है।।


नजर से किसी को गिराना नहीं।

किसी मोड़ पे मिल न जाये कहीं।।

सहारा बनो दीन उपकार कर।

चलो सत्य पथ नाम कर लो अमर।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 07/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- परम लक्ष्य पाना सुनिश्चित करो (2 युग्म)*

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परम लक्ष्य पाना सुनिश्चित करो।

मिलेगी सफलता नहीं तुम डरो।।

कभी हार मिलना कभी जीत तय।

रखे हौसला जो उसी का विजय।।


करो रौशनी दीप नेकी जला।

रहो दूर पर की बुराई बला।।

खुशी बाँटने जग उठा पाँव को।

बढ़ाओ सदा प्रेम की छाँव को।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 08/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- कभी भी न पालो किसी पर वहम (3 युग्म)*

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कभी भी न पालो किसी पर वहम।

समझ जिंदगी में सभी हैं अहम।।

सभी को सभी की जरूरत पड़े।

मनुज मन कभी मत अहं पर अड़े।।


कदम से कदम तुम मिलाते चलो।

किसी की प्रगति से न तुम तो जलो।।

लगाओ गले जन भुला द्वेष को।

रखो स्वच्छ परिवेश अनिमेष को।।


चराचर जगत में सभी एक हैं।

अहिंसा परम धर्म पथ नेक हैं।।

लड़ो मत कभी धर्म के नाम पर।

सदा ध्यान देना सहीं काम पर।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 08/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- लहर जो उठी है दिखाऊँ किसे (3 युग्म)*

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लहर जो उठी है दिखाऊँ किसे।

दिया दर्द हमदर्द माना जिसे।।

कभी भी सितम में नहीं की कमी।

मिला जख्म हर पल नयन में नमी।।


बना प्रेम का मैं पुजारी खड़ा।

तुम्हारी झलक को अचेतन पड़ा।।

जपूँ नाम माला घड़ी पल घड़ी।

लगा लो गले दूर हो क्यों खड़ी।।


हुआ बावरा मैं लगाकर लगन।

जलाती मुझे नित जुदाई अगन।।

सजा प्यार का मत किसी को मिले।

अधर में मिलन का सुमन ही खिले।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 09/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- सुबह शाम मैंया करूँ आरती (2 युग्म)*

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सुबह शाम मैंया करूँ आरती।

चरण मैं नमन नित करूँ भारती।।

बढ़ाना सदा मान संस्कार को।

करो तेज मेरी कलम धार को।।


बढ़े पाँव नेकी सफल राह में।

थमे सांस उपकार की चाह में।।

बसर जिंदगी हो सहीं कर्म में।

लगे मन लगन माँ दया धर्म में।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 09/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

शक्ति छंद- *सुबह शाम सतनाम का जाप कर*

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सुबह शाम सतनाम का जाप कर।

चलो सत अहिंसा सुफल राह पर।।

करो प्रार्थना सब निरोगी रहे।

न कोई यहाँ कष्ट भोगी रहे।।


अमृत सात संदेश व्यालिस वचन।

अमल संत कर लो गुरू का कथन।।

इसी में सफल जिंदगी सार है।

मिला कर्म उपकार आधार है।।


कभी द्वेष करना सिखाता नहीं।

दिखाता सदा पथ गलत क्या सहीं।।

लड़ाता नहीं धर्म के नाम पर।

हमेशा दिया जोर सत काम पर।।


सभी जन्म से एक इंसान है।

लहू एक है एक मुँह कान है।।

हवा एक चलती सभी के लिए।

बताओ भला भेद किसने किये!!

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/03/2024

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*आधार छंद-- शक्ति /संज्वर सममात्रिक*

*सृजन शब्द - *मिला देव मुझको गुरू रूप में*

मिला देव मुझको गुरू रूप में।

दिए छाँव सुख का मुझे धूप में।।

मिला नाम आधार उपकार में।

भरे ज्ञान भंडार व्यवहार में।।


मिटा दीन तृष्णा सहारा दिए।

मुझे शांति जीवन गुजारा दिए।।

गुरू पाठ इंसानियत का पढ़ा।

दिए हो बुलंदी शिखर में चढ़ा।।


जले भक्ति दीया हृदय थाल में।

खिले भाव श्रद्धा सुमन भाल में।।

खुशी सुख प्रदाता कृपानाथ हो।

गजानंद की भक्ति के साथ हो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 11/03/2024





मयूरशिखा छंद-

*मयूर शिखा (अर्ध सममात्रिक छंद)* नव प्रस्तारित आधार छंद है। *कुल मात्रा -- 54* *यति-- 14,13* *पदांत- IIS* *मापनी--- SSS-SSS-S, SSIS-SIIS* ( ...