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*दिनांक -- 26/02/2024*
*दिन -- सोमवार*
*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*लक्षण- मापनी मुक्त
*परिचय-- संस्कारी वर्ग भेद (1597)*
*पदांत-- चौकल*
*सृजन शब्द-- मस्तानों की आई टोली (5 युग्म)*
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मस्तानों की आई टोली। खेलें मिलकर आओ होली।
करते हँसी मजाक ठिठोली। संग भांग की गटको गोली।।
रंग गुलाल अबीर उड़ाओ। गीत फगुनवा मितवा गाओ।
छोड़ो द्वेष गले मिल जाओ। हँसी खुशी यह पर्व मनाओ।।
हाथों में थामे पिचकारी। होली रंग लगे मनुहारी।
ढोल नगाड़ा लगे सुहावन। ऋतु बसंत पावन मनभावन।।
आम पलास सुगंध सुहाई। कोयल मीठी गीत सुनाई।
बन दुल्हन सरसों शरमाई। मादकता महुए में छाई।।
भ्रमर करे गूँजन फूलों पर। रौनक आई है झूलों पर।
स्वर्ग समान लगी है धरती। खुशियाँ ले अठखेली करती।।
🖊️इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 26/02/2024
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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*सृजन शब्द-- मैं चातक हूँ चंद्र चकोरी, (5 युग्म)*
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मैं चातक हूँ चंद्र चकोरी। रात अमावस है घनघोरी।
प्रीत मिलन की बाँधो डोरी। आया मिलने चोरी-चोरी।।
कृष्ण बिना राधा है आधा। वही प्रीत मैंने भी साधा।
नीर बिना है मीन अधूरा। पर तुम करना चाहत पूरा।।
पात बिना है सूखी डाली। फूल बिना है निर्झर माली।
मंद बयार कली मुरझाई। विरह वेदना आग लगाई।।
सूरदास रसखान कहे हैं। मीरा भी प्रभु पीर सहे हैं।
प्रीत सदा मन की गहराई, जाति-पाति जिसमें न समाई।।
प्रेम सदा सुख जीवन दरिया। भींगे जिसमें हॄदय चुनरिया।
प्रेम नाव चढ़ पार करो भव। अनुगामी पथ सृजन करो नव।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 26/02/2024
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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*सृजन शब्द-- आया फागुन लेकर होली (5 युग्म)*
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आया फागुन लेकर होली। मस्ती में झूमें हैं टोली।
खुशियों से भर दें हम झोली। खेलें होली मिल हमजोली।।
प्रीत रंग भरना पिचकारी। रंग गुलाल लगे मनुहारी।
माथ सजा लो कुमकुम रोली। बुरा न मानों खेलो होली।।
भांग नशा में ढोल नगाड़ा। राग रौब फागुन में झाड़ा।
शंख मृदंग करे ता-थैया। गीत फगुनवा लिए बलैया।।
ऋतु बसंत खुशियाँ में झूमे। हरियाली की राहें चूमे।
अमराई में रौनक छाई। आम्र बौर भी है बौराई।।
सभी तरफ है मस्त नजारें। आओ गायें गीत बहारें।
लेना जगा उमंग जवानी। रखे रगों में नित्य रवानी।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 27/02/2024
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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*सृजन शब्द--शोभित घर आँगन सुखदाई। (5 युग्म)*
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शोभित घर आँगन सुखदाई। कृपा सदा हो प्रभु रघुराई।
भरे रहे घर शांति खजाना। सुख-दुख सब मिल साथ निभाना।।
पावन पूजित तुलसी चौंरा। करे सदा गूँजन सुख भौंरा।
पड़े कभी मत दुख परछाई। सुख जीवन की करूँ दुहाई।।
रीति-नीति संस्कार बचाना। धर्म कर्म का फर्ज निभाना।
संस्कारित हो बच्चा-बच्चा। रहें सभी हम दिल से सच्चा।।
पूज्य सदा माँ-बाप चरण हो। जिनके पावन कथन वरण हो।
माँ की ममता का हो साया। कभी लुभाये मत मद माया।।
घर की लक्ष्मी बेटी जानों। कभी पराया धन मत मानों।
बेटी दो कुल फर्ज निभाती। कष्टों से परिवार बचाती।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 27/02/2024
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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*सृजन शब्द-फूलों जैसा रूप सुहाना (5 युग्म)*
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फूलों जैसा रूप सुहाना। दिल में भर दो प्रीत तराना।
साथी मेरे साथ निभाना। समझ पराया भूल न जाना।।
तुमसे ही रौनक जीवन में। तुम ही तुम हो अंतर्मन में।
बन राँझा मैं हीर बना लूँ। तुमको अपना पीर बना लूँ।।
बन बैठा हूँ प्रेम पुजारी। दिल में है तस्वीर तुम्हारी।
लगन लगी है तुमसे ज्यादा। साथ निभाने का है वादा।।
जुल्फों का दो छाँव घनेरी। करो प्रिये मत तुम तो देरी।
चाहत का बरसात करो तुम। प्रीत भरी नित बात करो तुम।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 28/02/2024
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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*सृजन शब्द-- जीवन धारा बहती जाये।(3 युग्म)
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जीवन धारा बहती जाये। सीख उतार चढ़ाव सिखाये।
थाम हौसला आगे बढ़ना। शिखर सफलता का है चढ़ना।।
अहं कभी मन में न समाये। सत्य राह पग बढ़ते जाये।
धीर रखें हम कठिनाई में। ध्यान लगायें चतुराई में।।
कभी किसी का दिल न दुखाना। दीन-दुखी को गले लगाना।
सहज सरल व्यवहार रखें हम। पर सेवा उपकार रखें हम।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 29/02/2024
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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*सृजन शब्द-- सबमें प्रेम दया करुणा हो ।(3 युग्म)*
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सबमें प्रेम दया करुणा हो। जीवन पथ में सुख अरुणा हो।
भाव भरें जग भाईचारा। बनकर रहना मीत सहारा।।
कर्म बिना है धर्म अधूरा। संस्कारी बन करना पूरा।
ढोंग रूढ़ि को दें न बढ़ावा। मन मंदिर हो भक्ति चढ़ावा।।
दायित्वों का बोध करें हम। विश्व बन्धुता शोध करें हम।
लक्ष्य साधना सच्चाई का। राह थामना अच्छाई का।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 01/03/2024
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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*सृजन शब्द-- नमन योग्य है विकसित भारत (5 युग्म)*
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नमन योग्य है विकसित भारत। करते हैं हम निस दिन स्वागत।
धन्य धरा जिसमें खुशहाली। आच्छादित है वन हरियाली।।
सीमा पर हैं वीर सिपाही, शक्ति चक्र का स्वयं गवाही।
देश भक्ति का फर्ज निभाने। दुश्मन को निज धूल चटाने।।
देश विकास शिखर चढ़ने को। विश्व पटल पर नित बढ़ने को।
सक्षम साहस हमनें साधा। जीत लिए हैं विपदा बाधा।।
थाम एकता की हम राहें। विश्व बन्धुता समता चाहें।
जाति-धर्म का भेद मिटायें। लोकतन्त्र में साथ निभायें।।
सबको सम सम्मान दिलाना। अधरों पर मुस्कान खिलाना।
सबमें शुभ संस्कार भरा है। रीति-नीति पथ परंपरा है।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 02/03/2024
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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*
*सृजन शब्द-- चाँद चुराके ले आऊँगा ।(3युग्म)
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चाँद चुराके ले आऊँगा। चैन तभी तो मैं पाउँगा।
दुल्हन तुमको माना अपना। पूरा कर दो मेरा सपना।।
सांसो में तुम धड़कन बनकर। तड़पाती हो तड़पन बनकर।
जीने का अरमान बना लूँ। तुमको अपना जान बना लूँ।।
बजती जब पाँवों की पायल। कर जाती है मुझको घायल।
चूड़ी की तो खनखन बोली। इस दिल में है दागे गोली।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 02/03/2024