गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

चौपाई छंद- आधार सममात्रिक छंद

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*दिनांक -- 26/02/2024*

*दिन -- सोमवार*

*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*लक्षण- मापनी मुक्त

*परिचय-- संस्कारी वर्ग भेद (1597)*

*पदांत-- चौकल*

*सृजन शब्द-- मस्तानों की आई टोली (5 युग्म)*

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मस्तानों की आई टोली। खेलें मिलकर आओ होली।

करते हँसी मजाक ठिठोली। संग भांग की गटको गोली।।


रंग गुलाल अबीर उड़ाओ। गीत फगुनवा मितवा गाओ।

छोड़ो द्वेष गले मिल जाओ। हँसी खुशी यह पर्व मनाओ।।


हाथों में थामे पिचकारी। होली रंग लगे मनुहारी।

ढोल नगाड़ा लगे सुहावन। ऋतु बसंत पावन मनभावन।।


आम पलास सुगंध सुहाई। कोयल मीठी गीत सुनाई।

बन दुल्हन सरसों शरमाई। मादकता महुए में छाई।।


भ्रमर करे गूँजन फूलों पर। रौनक आई है झूलों पर।

स्वर्ग समान लगी है धरती। खुशियाँ ले अठखेली करती।।

🖊️इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 26/02/2024

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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- मैं चातक हूँ चंद्र चकोरी, (5 युग्म)*

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मैं चातक हूँ चंद्र चकोरी। रात अमावस है घनघोरी।

प्रीत मिलन की बाँधो डोरी। आया मिलने चोरी-चोरी।।


कृष्ण बिना राधा है आधा। वही प्रीत मैंने भी साधा।

नीर बिना है मीन अधूरा। पर तुम करना चाहत पूरा।।


पात बिना है सूखी डाली। फूल बिना है निर्झर माली।

मंद बयार कली मुरझाई। विरह वेदना आग लगाई।।


सूरदास रसखान कहे हैं। मीरा भी प्रभु पीर सहे हैं।

प्रीत सदा मन की गहराई, जाति-पाति जिसमें न समाई।।


प्रेम सदा सुख जीवन दरिया। भींगे जिसमें हॄदय चुनरिया।

प्रेम नाव चढ़ पार करो भव। अनुगामी पथ सृजन करो नव।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 26/02/2024

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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- आया फागुन लेकर होली (5 युग्म)*

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आया फागुन लेकर होली। मस्ती में झूमें हैं टोली।

खुशियों से भर दें हम झोली। खेलें होली मिल हमजोली।।


प्रीत रंग भरना पिचकारी। रंग गुलाल लगे मनुहारी।

माथ सजा लो कुमकुम रोली। बुरा न मानों खेलो होली।।


भांग नशा में ढोल नगाड़ा। राग रौब फागुन में झाड़ा।

शंख मृदंग करे ता-थैया। गीत फगुनवा लिए बलैया।।


ऋतु बसंत खुशियाँ में झूमे। हरियाली की राहें चूमे।

अमराई में रौनक छाई। आम्र बौर भी है बौराई।।


सभी तरफ है मस्त नजारें। आओ गायें गीत बहारें।

लेना जगा उमंग जवानी। रखे रगों में नित्य रवानी।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 27/02/2024

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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*सृजन शब्द--शोभित घर आँगन सुखदाई। (5 युग्म)*

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शोभित घर आँगन सुखदाई। कृपा सदा हो प्रभु रघुराई।

भरे रहे घर शांति खजाना। सुख-दुख सब मिल साथ निभाना।।


पावन पूजित तुलसी चौंरा। करे सदा गूँजन सुख भौंरा।

पड़े कभी मत दुख परछाई। सुख जीवन की करूँ दुहाई।।


रीति-नीति संस्कार बचाना। धर्म कर्म का फर्ज निभाना।

संस्कारित हो बच्चा-बच्चा। रहें सभी हम दिल से सच्चा।।


पूज्य सदा माँ-बाप चरण हो। जिनके पावन कथन वरण हो।

माँ की ममता का हो साया। कभी लुभाये मत मद माया।।


घर की लक्ष्मी बेटी जानों। कभी पराया धन मत मानों।

बेटी दो कुल फर्ज निभाती। कष्टों से परिवार बचाती।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 27/02/2024

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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-फूलों जैसा रूप सुहाना (5 युग्म)*

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फूलों जैसा रूप सुहाना। दिल में भर दो प्रीत तराना।

साथी मेरे साथ निभाना। समझ पराया भूल न जाना।।


तुमसे ही रौनक जीवन में। तुम ही तुम हो अंतर्मन में।

बन राँझा मैं हीर बना लूँ। तुमको अपना पीर बना लूँ।।


बन बैठा हूँ प्रेम पुजारी। दिल में है तस्वीर तुम्हारी।

लगन लगी है तुमसे ज्यादा। साथ निभाने का है वादा।।


जुल्फों का दो छाँव घनेरी। करो प्रिये मत तुम तो देरी।

चाहत का बरसात करो तुम। प्रीत भरी नित बात करो तुम।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 28/02/2024

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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*सृजन शब्द--  जीवन धारा बहती जाये।(3 युग्म)

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जीवन धारा बहती जाये। सीख उतार चढ़ाव सिखाये।

थाम हौसला आगे बढ़ना। शिखर सफलता का है चढ़ना।।


अहं कभी मन में न समाये। सत्य राह पग बढ़ते जाये।

धीर रखें हम कठिनाई में। ध्यान लगायें चतुराई में।।


कभी किसी का दिल न दुखाना। दीन-दुखी को गले लगाना।

सहज सरल व्यवहार रखें हम। पर सेवा उपकार रखें हम।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 29/02/2024

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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- सबमें प्रेम दया करुणा हो ।(3 युग्म)*

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सबमें प्रेम दया करुणा हो। जीवन पथ में सुख अरुणा हो।

भाव भरें जग भाईचारा। बनकर रहना मीत सहारा।।


कर्म बिना है धर्म अधूरा। संस्कारी बन करना पूरा।

ढोंग रूढ़ि को दें न बढ़ावा। मन मंदिर हो भक्ति चढ़ावा।।


दायित्वों का बोध करें हम। विश्व बन्धुता शोध करें हम।

लक्ष्य साधना सच्चाई का। राह थामना अच्छाई का।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 01/03/2024

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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- नमन योग्य है विकसित भारत (5 युग्म)*

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नमन योग्य है विकसित भारत। करते हैं हम निस दिन स्वागत।

धन्य धरा जिसमें खुशहाली। आच्छादित है वन हरियाली।।


सीमा पर हैं वीर सिपाही, शक्ति चक्र का स्वयं गवाही।

देश भक्ति का फर्ज निभाने। दुश्मन को निज धूल चटाने।।


देश विकास शिखर चढ़ने को। विश्व पटल पर नित बढ़ने को।

सक्षम साहस हमनें साधा। जीत लिए हैं विपदा बाधा।।


थाम एकता की हम राहें। विश्व बन्धुता समता चाहें।

जाति-धर्म का भेद मिटायें। लोकतन्त्र में साथ निभायें।।


सबको सम सम्मान दिलाना। अधरों पर मुस्कान खिलाना।

सबमें शुभ संस्कार भरा है। रीति-नीति पथ परंपरा है।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 02/03/2024

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*आधार छंद-- चौपाई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- चाँद चुराके ले आऊँगा ।(3युग्म)

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चाँद चुराके ले आऊँगा। चैन तभी तो मैं पाउँगा।

दुल्हन तुमको माना अपना। पूरा कर दो मेरा सपना।।


सांसो में तुम धड़कन बनकर। तड़पाती हो तड़पन बनकर।

जीने का अरमान बना लूँ। तुमको अपना जान बना लूँ।।


बजती जब पाँवों की पायल। कर जाती है मुझको घायल।

चूड़ी की तो खनखन बोली। इस दिल में है दागे गोली।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 02/03/2024







सोमवार, 19 फ़रवरी 2024

दीप्ति/जयकरी/चौपई छंद

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*दिनांक -- 19/02/2024*

*दिन -- सोमवार*

*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*मात्रा- 15

*मापनी-- 2222-2221*

*पदांत-- 21*

*सृजन शब्द-- रे मन ! कब लोगे विश्राम(2 युग्म)*

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रे मन! कब लोगे आराम, निस दिन जीवन में है काम।

छोड़ चलो इस जग में नाम, व्यर्थ न हो तन साँस विराम।।

क्या लाया है जो तू साथ, जाना भी है खाली हाथ।

छोड़ो कल की चिंता माथ, सुख-दुख के साथी हैं नाथ।।


छोड़ो आपस की तकरार, एक पेड़ के हम सब नार।

मानवता की करो पुकार, होगा हम सबका उद्धार।।

सत्य अहिंसा के बन दूत, भारत माँ के सच्चे पूत।

त्याग भावना छूत अछूत, जग में हो शांति फलीभूत।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 19/02/2024


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*आधार छंद-- दीप्ति/जयकरी/चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- रे मन! कब लोगे विश्राम (2 युग्म)*

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किया बहुत जीवन में काम, रे मन! कब लोगे विश्राम।

सत्कर्मों को लेना थाम, मिल जायेंगे प्रभु सुख धाम।।

झूठ अहं भय भ्रम को छोड़, रखना मन में ज्ञान निचोड़।

रहना सच से नाता जोड़, सुख आये या दुख का मोड़।।


करना सेवा दीन गरीब, रहना नित माँ-बाप करीब।

इस जीवन का खेल अजीब, कर्म बनाये नित्य नसीब।।

रखना मुख में मीठ जुबान, शब्द लगे मत तीर समान।

ध्यान धरे चल गुरु का ज्ञान, तभी बनोगे मनुज महान।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 19/02/2024


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*आधार छंद-- दीप्ति/जयकरी/चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द- मत कर दौलत पर अभिमान*

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मत कर दौलत पर अभिमान, जीवन हो सत पथ बलिदान।

पार लगाये भव गुरु ज्ञान, कहना मानो संत सुजान।।

जीवन जीना रख नित धीर, समझो दीन दुखी का पीर।

रखो बचा कर मान जमीर, बहना बनकर पावन नीर।।


सुख के साथी हैं सब लोग, दुख में करें नहीं सहयोग।

जस करनी तस भरनी भोग, लाख लगा बैठो तुम जोग।।

मद मदिरा में होकर चूर, धन दौलत का किया गुरूर।

होकर अपनों से ही दूर, रहा जिंदगी भर मजबूर।।

इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 19/02/2024

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आधार छंद- *दीप्ति/जयकरी/चौपई सममात्रिक छंद*- 

सृजन शब्द- *भारत का हर बच्चा वीर*

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भारत माँ करती आव्हान, आन-बान तुम मेरी शान।

बन सच्चे मेरी संतान, रहना रण में सीना तान।।

तोड़ गुलामी की जंजीर, बनो बुलन्दी का तुम तीर।

तुमसे है भावी तस्वीर, भारत का हर बच्चा वीर।।


भुजा समाये रख तूफान, शूरवीर योद्धा बलवान।।

बनना कर्मवीर इंसान, नाज करे यह हिंदुस्तान।।

वीर शहीदों को कर याद, जिसने देश किया आजाद।

लाल बाल बिस्मिल आजाद, सदा रहेंगे जिंदाबाद।।


भारत का हर बच्चा वीर, चतुर बहादुर अरु बलबीर।

दुश्मन का सीना दे चीर, मन को रखता शांत सुधीर।।

विपदाओं में बनते ढाल, लड़ते ऊँचा करके भाल।

देश सिपाही करे कमाल, खूब बजाओ जी करताल।।


लेते पल में पर्वत नाप, खुदी चंद्रशेखर की छाप।

नष्ट करे पापी का पाप, देश भक्ति का करते जाप।।

माने न कभी वे तो हार, शेर समान करे ललकार।

बच्चे दिल के सच्चे यार, बोलो अब तो जय जयकार।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 20/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- कविताई तू करले मीत*

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कविताई तू कर ले मीत, भरो सभी के मन में प्रीत।

मानवता के गाओ गीत, होये सबको मान प्रतीत।।

रहता कवि का हृदय उदार, सोचे सबका हो उपकार।

लिखता कविता में सच सार, करे झूठ प्रति नित्य प्रहार।।


सच्चाई पर लगते दाग, अंधभक्ति का गाते राग।

लोग बने हैं अब तो काग, व्यर्थ अलापे हैं अनुराग।।

सत्य प्रशंसा करे न लोग, लगा झूठ का सबको रोग।

पत्थर लगते छप्पन भोग, मरते घर का देव वियोग।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 20/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द--  श्री सुरनायक मेरे राम (2 युग्म)*

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रघुपति राघव राजा राम, सिद्ध करे प्रभु सकल सुकाम।

पग में जिनके चारो धाम, श्री सुरनायक मेरे राम।।

सरिता सरयू पावन घाट, भक्त निषाद निहारे बाट।

पाया दर्शन रूप विराट, फेरा प्रभु ने हाथ ललाट।।


दीन दुखी के दाता राम, कष्ट हरे प्रभु का शुभ नाम।

गिरे पड़े को लेते थाम, देते सबको सुख अविराम।।

मानव जग में गढ़े सुराज, बने सुशासित सभ्य समाज।

धन्य गजानंद हुआ आज, नाम सियापति मन में साज।।

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श्री सुरनायक मेरे राम, चरण आपके सुख का धाम।

राम नाम है पावन नाम, सफल करे प्रभु सबका काम।।

करते क्षण में दुःख निदान, शरणागत हो जो इंसान।

सुबह शाम करना गुणगान, त्याग घमंड अहं अभिमान।।


कर्मपरायण नेह दुलार, भरा हृदय में प्रेम अपार।

दिए त्याग का शिक्षा सार, किये राम प्रभु जग उद्धार।।

भक्त रहा अंगद हनुमान, दिये सदा ही प्रभु में ध्यान।

केंवट शबरी को सम्मान, देकर जग में किये महान।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 21/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- विनती सुन लो पालनहार*

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विनती सुन लो पालनहार, करना भवसागर से पार।

खड़ा आपके हूँ मैं द्वार, हाथ जोड़ कर करूँ पुकार।।

मैं अज्ञानी हूँ मतिहीन, शरण पड़ा हूँ बन मैं दीन।

ज्ञान बिना तड़पे मन मीन, सजा रहो आसन आसीन।।


संकट मोचन तारणहार, करना मुझ पर प्रभु उपकार।

बजे प्रीत का नित झंकार, देना मुझको यह उपहार।।

सही गलत प्रति हो प्रतिभान, रहे हृदय में मत अभिमान।

करें ज्ञान का जग में दान, तभी बनेंगे मनुज महान।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 21/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द--  चोरी चोरी बोले नैन (2 युग्म)*

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चोरी-चोरी बोले नैन, छीन लिया है मेरा चैन।

तड़प-तड़प बीते हैं रैन, किसे सुनाऊँ दिल का बैन।।

विरह वेदना प्रीत अधीर, मीत हुआ है क्यों बेपीर।

दिया नैन में गम का नीर, मुरझाया बन पात शरीर।।


आया है अब ऋतु मधुमास, पिया मिलन की जागी प्यास।

छेड़े ताना फूल पलास, लौट चले आओ प्रिय पास।।

जब-जब कोयल बोले बोल, देते तब-तब दुख मन घोल।

तकती राह नैन पट खोल, समझो पिया मिलन का मोल।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 22/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द--  मेरा प्यारा हिंदुस्तान (2 युग्म)*

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भाईचारा है पहचान, सभी धर्म का है सम्मान।

गाऊँ निस दिन मैं गुणगान, मेरा प्यारा हिंदस्तान।।

पावन गंगा का सुख धार, भरा खनिज से है भंडार।

संविधान समता आधार, दिया सभी को हक अधिकार।।


गीता ग्रंथ पुराण कुरान, देते नेक सदा सद्ज्ञान।

कहते मानव सभी समान, एक कोंख के हम संतान।।

जोड़ रखें सबसे हम प्रीत, होये सबको प्रेम प्रतीत।

गायें जनगण मन का गीत, रखें बचा हम अपना रीत।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 22/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- छेड़े आओ भारत राग (2 युग्म)*

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बसा दिलों में नित अनुराग, गंगा जैसे प्रीत प्रयाग।

रखें भावना हित प्रति त्याग, छेड़ें आओ भारत राग।।

बुद्धि विवेक करें उपयोग, एक कोंख जन्में सब लोग।

जाति-धर्म का त्यागें रोग, मेल- मिलाप करें सहभोग।।


भारत का हो गौरवगान, रखें सदा हम इसका ध्यान।

हमें तिरंगा पर अभिमान, त्याग शांति उन्नति पहचान।।

राष्ट्रभक्ति का हो जयघोष, रहे सभी कोई निर्दोष।

मन में सबके हो संतोष, बढ़े देश का निस दिन कोष।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 23/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- आओ गायें मंगल गीत (2 युग्म)*

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आओ गायें मंगल गीत, जोड़ें सबसे सच्चा प्रीत।

भाईचारा रख लें रीत, सबके दिल को लें हम जीत।।

धन्य धरा है भारत देश, शांति सुखद इसका परिवेश।

सत्य अहिंसा दे संदेश, रहे नहीं आपस में क्लेश।।


खुशहाली का गाये राग, एक डाल पर कोयल काग।

सभी जगा लें अपना भाग, मिटा द्वेष भय भ्रम का दाग।।

राह चलें हम उन्नत नेक, एक खून है तन भी एक।

सद्विचार हो सोच विवेक, बढ़े बंधुता नित अतिरेक।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 23/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- मेरा क्या बोलो अपराध (2 युग्म)*

मेरा क्या बोलो अपराध, प्रीत लिया जो तुमसे साध।

करता हूँ मैं प्रेम अगाध, चलने दो इसको निर्बाध।।

बसा लिया दिल में तस्वीर, समझ तुम्हें अपना तकदीर।

मैं राँझा तुम मेरी हीर, साथ-साथ सहना है पीर।।


साँसों से साँसों का तार, धकड़न में बस तेरा प्यार।

तुमसे ही है प्रीत बहार, तुम ही हो जीवन आधार।।

रहे प्रीत में न कभी होड़, देंगे सुख का सार निचोड़।

साथ रहेंगे हम हर मोड़, बन जीवन साथी बेजोड़।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 24/02/2024

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*आधार छंद-- दीप्ति/ जयकरी/ चौपई सममात्रिक*

*सृजन शब्द--जीवन का ले लो आनंद (2 युग्म)*

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जीवन का ले लो आनंद, छोड़ो मन का अंतर्द्वंद।

मिला समय है कुछ ही चंद, रखें जोड़ प्रीत गजानंद।।

मधुर मिलन की हो बरसात, करें सदा सच्चाई बात।

दें सबको सुख की सौगात,आये कभी न दुख की रात।।

इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" बिलासपुर

25/02/2024





गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

चंडिका छंद- सम मात्रिक (आधार छंद)

 *आधार छंद-- चंडिका सममात्रिक*

*मापनी-- 2222-212 आदि द्विकल*

*पदांत-- 212*

*सृजन शब्द-- दानव कुल संहारिणी (2 युग्म)*

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दानव कुल संहारिणी, भव सागर जन तारणी।

अष्टभुजा माँ धारिणी, कल्याणी शुभ कारिणी।।

दूर करो दुख वेदना, भर दो माँ नवचेतना।

माला मूंड विराजते, शोभा नैन निहारते।।


रूप अनेकों शारदे, दुष्टों को संहार दे।

हे माँ मंगल कामिनी, शुभ्र ज्योत्सना यामिनी।।

सुख वैभव वरदायिनी, माथ मुकुट शोभायिनी

हर दो माँ संताप को, इस कलयुग के पाप को।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 12/02/2024

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*आधार छंद-- चंडिका सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- आया सावन झूम के (2 युग्म)*

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आया सावन झूम के, नभ धरिणी को चूम के।

बादल बरसे घूम के, मारे कोयल ठूमके।।

बरसे मन बरसात में, प्रीत मिलन की रात में।

बूझ गई अब दामिनी, हार गई शुभ यामिनी।।


मन में उठते प्रीत है, संस्कारित शुभ प्रीत है।

जोड़ो मन से भावना, जन कल्याणी कामना।।

मय वश रावण है मरा, सत्य सनातन जग भरा।

समझो जग जन वेदना, जाग उठेगा चेतना।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 12/02/2024

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  *आधार छंद-- चंडिका सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- मत स्वीकारो दीनता (2 युग्म)*

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*संस्थापक, छंदाचार्य - डॉ रामनाथ साहू "ननकी"*

*अध्यक्ष - डॉ माधुरी डड़सेना "मुदिता"*

*सचिव-- डॉ ओमकार साहू "मृदुल"*

""""""*""""""*"""""""*"""""*""""""*

मत स्वीकारो दीनता, मन में भरकर हीनता।

रखना प्रभु में लीनता, जीना रख स्वाधीनता।।

प्रीत सभी से जोड़ना, लोभ बुराई छोड़ना।

नेक सुगम पथ मोड़ना, दीवार अहं तोड़ना।।


रखना कर्म महान तू, धर्म सुभाषित ज्ञान तू।

भरना ऊँच उड़ान तू, बनकर प्रज्ञावान तू।।

सत्य सनातन रीत हो, सबके प्रति सम प्रीत हो।

हार नहीं नित जीत हो, भाई-भाई मीत हो।।


गीता ग्रंथ कुरान में, बोले वेद  पुरान में।

भेद न हो इंसान में, बात रखो नित ध्यान में।।

मानव मंद विवेक है, कुंठित मन अतिरेक है।

खून सभी का एक है, सोच यही शुभ नेक है।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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    *आधार छंद-- चंडिका सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- सुर की देवी शारदे (2 युग्म)*

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सुर की देवी शारदे, नित्य कलम को धार दे।

कष्टों को संहार दे, भक्तों को सुख प्यार दे।।

आया हूँ माँ द्वार में, सुनकर प्रेम पुकार में।

भर दो प्रीत विचार में, सुखमय हो संसार में।।


अनपढ़ को माँ ज्ञान दो, अक्षर- अक्षर ध्यान दो।

दोष विकार निदान दो, मीठा बोल जुबान दो।।

सबको सम सम्मान दो, बुद्धि विवेक उचान दो।

गीत मधुर सुर तान दो, जनगण मन का गान दो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 14/12/2024

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 *आधार छंद-- चंडिका सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- सद्गुरु देते मंत्र हैं (2 युग्म)*

सद्गुरु देते मंत्र है, नेक विचार सुतंत्र है।

ज्ञान सुधा शुभ अंत्र है, नष्ट करे षडयंत्र है।।

सद्गुरु सीप समान है, पूजा पाठ अजान है।

यीशु ख़ुदा भगवान है, रूप अनेक महान है।।


सद्गुरु सच आधार है, जीवन का पतवार है।

महिमा अपरंपार है, भजते जग संसार है।।

मातु पिता का रूप है, देते ज्ञान अनूप है।

दूर करे दुख धूप है, तरसे गुरु को भूप है।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 15/02/2024

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आधार छंद - चंडिका छंद

सृजन शब्द- *कैसा ये व्यापार है*

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दिखता हाहाकार है, महँगाई की मार है।

जन बेबस लाचार है, चुप बैठी सरकार है।।

जग कालाबाजार है, फैला भ्रष्टाचार है।

लूट यहाँ भरमार है, कैसा ये व्यापार है।।


पीट रहें हैं भाल को, तरसे जन सुख थाल को।

पूछे कौन सवाल को, मिलता मान दलाल को।।

बात जहर नित घोलता, जब-जब मुँह को खोलता।

सत्ता कुर्सी डोलता, सच जब कोई बोलता।।


चोरों का सरदार है, बन बैठा सरकार है।

छाया हाहाकार है, कैसा ये व्यापार है।।

देश हुआ कंगाल है, बर्बादी का हाल है।

चलता रोज कुचाल है, खुद ही मालामाल है।।


सब पैसों का खेल, अब वोटों का मेल है।

बिकता दफ्तर रेल है, सच बोलो तो जेल है।।

झूठ बना आधार है, होता जय जयकार है।

न्याय हुआ लाचार है, कैसा ये व्यापार है।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 16/02/2024

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*आधार छंद-- चंडिका सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- राधा शीतल छाँव है (2 युग्म)*

""""'''*"""''''*""""*""""'''*"""''''"*""'""

मन में चुभते घाव है, लोग लगाये दाँव है।

पुण्य कन्हैया पाँव है, राधा शीतल छाँव है।।

पाप विनाशक नाम है, वंदन प्रभु जी राम है।

घट में चारो धाम है, जपना निश दिन काम है।।


मानव-मानव एक है, सत्य अहिंसा नेक है।

बढ़ता सोच विवेक है, माथ सजे अभिषेक है।।

जग में छाया पाप है, लोगों में संताप है।

दीन-दुखी माँ-बाप है, बढ़ता रोज विलाप है।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 16/02/2024

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*आधार छंद-- चंडिका सममात्रिक*

*सृजन शब्द-- राधा शीतल छाँव है (2 युग्म)*

""""""""*""""""""*""""""""*"""""'"*""'''"

वृंदावन शुभ गाँव है, कृष्ण सुहावन पाँव है।

पेड़ कदम का ठाँव है, राधा शीतल छाँव है।।

मित्र सुदामा साथ में, थामे बंसी हाथ में।

मोर मुकुट है माथ में, गोप मगन है नाथ में।।


हरने आया पाप को, दुनिया के संताप को।

धन्य किया माँ बाप को, साधा मित्र मिलाप को।।

दे गीता संदेश को, बदला जग परिवेश को।

नष्ट किये छल द्वेष को, सिद्ध किये अनिमेष को।।

🖊️इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 16/02/2024

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*आधार छंद-- चंडिका सममात्रिक*

*सृजन शब्द--क्यों व्याकुल मन आज है (2 युग्म)*

""""""*"""""""*"""""""*"""""""*""''''''''"

क्यों व्याकुल मन आज है, खामोशी अंदाज है।

व्यर्थ छुपाता राज है, जीत बँधे सर ताज है।।

बाधाओं को तोड़ दो, दुख का मटका फोड़ दो।

भाग्य निराशा छोड़ दो, कर्म दिशा पथ मोड़ दो।।


कहते ऋषि-मुनि संत है, सद्गुरु ज्ञान अनंत है।

लोभ किये सब अंत है, त्याग मिले सुख पंत है।।

भाईचारा साथ हो, दीन दुखी प्रति हाथ हो।

श्रम का मोती माथ हो, मत कोई निर्नाथ हो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 17/02/2024


गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

मिताली छंद- (आधार छंद)

मिताली छंद- *सूर्य सा चमकना*

मापनी- 212 122 

पदांत- 2 (गुरू)

नित सचेत रहना, सत्य साज गहना।

छोड़ रूढ़ि रास्ता, गुरु कबीर वास्ता।।

मन सहेज रखना, प्रेम भाव चखना।

नेक राह बढ़ना, कीर्तिमान गढ़ना।।


कर्म को सुधारो, धर्म को उबारो।

सोच को बढ़ाना, श्रम शिखर चढ़ाना।।

त्याग दो बुराई, कर सदा भलाई।

फूल सा महकना, सूर्य सा चमकना।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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[06/02, 3:23 pm] Er. G.N. Patre: 

मिताली छंद- *सूर्य सा चमकना*

मेघ सा बरसना, सूर्य सा चमकना।

है मुकाम पाना, गीत जीत गाना।।

हौसला बढ़ाओ, साथ-साथ आओ।

बन कलम सिपाही, सत्यमेव ग्राही।।


सत्य में चलेंगे, फूल पथ खिलेंगे।

भूल को भुलाना, छोड़ दो बहाना।।

कामना करेंगे, भावना भरेंगे।

दीन हीन तबका, हो विकास सबका।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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[06/02, 6:06 pm] Er. G.N. Patre: 

मिताली छंद- *सूर्य-सा चमकना*

मापनी- 212 122

पदांत - 2 (गुरू)

आप ही विधाता, बुद्धि गुण प्रदाता।

हो सखा व भ्राता, है अटूट नाता।।

सुन पुकार आओ, प्रभु गले लगाओ।

है मुझे चहकना, सूर्य-सा चमकना।।


भक्ति गीत गाऊँ, प्रभु तुम्हें मनाऊँ।

हूँ शरण पड़ा मैं, द्वार पर खड़ा मैं।

कष्ट नष्ट करना, भक्ति भाव भरना।

आप विघ्नहर्ता, धर्म कर्मकर्ता।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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मिताली छंद- प्रेम गीत गाऊँ 

मापनी- 212 122

पदांत- 2(गुरू)

प्रेम गीत गाऊँ, आपको सुनाऊँ।

दूँ सदा गवाही, झूठ कर मनाही।।

रीति नीति गढ़ना, नेक पाठ पढ़ना।

सत्यबोध करना, सत्य साध मरना।।


भेदभाव छोड़ो, मनु कुरीति तोड़ो।

संविधान पढ़ लो, राह नेक गढ़ लो।।

छोड़ दो बहाना, हो सफर सुहाना।

एक खून काया, अंग है समाया।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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[08/02, 6:24 pm] Er. G.N. Patre: 

*आधार छंद-- मिताली*

*मापनी-- 212-122*

*पदांत-- 2*

*सृजन शब्द-- तोड़ दो गुलामी (2 युग्म)*

थाम लो तिरंगा, मन रखो मतंगा।

गर्व गान गाओ, फर्ज भी चुकाओ।।

कर नहीं मनाही, बन वतन सिपाही।

हो सदा सलामी, तोड़ दो गुलामी।।


रख जुनून बाहें, तीव्र हो निगाहें।

जोश रख जवानी, नीर-सा रवानी।।

खून काम आये, शान यश बढ़ाये।

राष्ट्र हित सुनामी, छोड़ दो गुलामी।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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*आधार छंद-- मिताली*

*मापनी-- 212-122*

*पदांत-- 2(गुरू)*

*सृजन शब्द-- दिव्य साधना हो (2 युग्म)*

ईश प्रार्थना हो, दिव्य साधना हो।

क्रोध भय मिटाओ, लालसा घटाओ।।

नष्ट हो निराशा, हो प्रदीप्त आशा।

प्रीत पथ सुगम हो, मद विकार कम हो।।


द्वेष द्वंद त्यागो, बन सुधीर जागो।

प्रेम रस पिपासा, कह सुमीत भाषा।।

रार मत मचाओ, शांति सुख बचाओ।

सत्य कामना हो, दिव्य साधना हो।।


🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 07/02/2024

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[08/02, 6:24 pm] Er. G.N. Patre: 

मिताली छंद-- *तोड़ दो गुलामी*

मापनी-- 212 122

पदांत-- 2

द्वार ईश आओ, वेदना मिटाओ।

राह में पड़ा हूँ, भक्त बन खड़ा हूँ।।

नेक मन गढूँ मैं, प्रेम पथ बढूँ मैं।

भक्ति भावना हो, पूर्ण कामना हो।।


हो विकार आधा, क्रोध क्लेश व्याधा।

आत्म शांति पाये, मोक्ष मन समाये।।

पार प्रभु लगाओ, साँस में समाओ।

मन बने न कामी, तोड़ दो गुलामी।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 08/02/2024

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*दिनांक -- 08/02/2024*

*दिन -- गुरुवार*

*आधार छंद-- मिताली*

*मापनी-- 212-122*

*पदांत-- 2*

*सृजन शब्द-- लाड़ली चिरैया (2 युग्म)*

तान दे सुरैया, लाड़ली चिरैया।

पंख सुख पसारे,भूल को बिसारे।।

राग प्रीत गाते, जन सभी सुहाते।

सत्यबोध करता, सार ज्ञान भरता।।


प्रेम सुख बसेरा, हो सुप्रीत डेरा।

कामना यही है, चाह पथ सही है।।

काग राग छोड़ो, प्रेम रीत जोड़ो।

याद रख ठिठोली, कोयली सुबोली।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 08/02/2024

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*दिनांक -- 09/02/2024*

*दिन -- शुक्रवार*

*आधार छंद-- मिताली*

*मापनी-- 212-122*

*पदांत-- 2*

*सृजन शब्द-- छंद साधना हो (2 युग्म)*

"""""*"""""""*"""""""*"""''''''*"""""""

शब्द सामना हो, छंद साधना हो।

भाव मन उकेरो, छंदबद्ध घेरो।।

ज्ञान का खजाना, है हमें लुटाना।

युग नया गढ़ेंगे, नव युवा पढ़ेंगे।।


छंद ज्ञान ज्ञानी, बाँटते सुजानी।

लय विधा बताते, भावना जगाते।।

हो प्रशस्त राहें, रख खुली निगाहें।

पूर्ण कामना हो, छंद साधना हो।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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*दिनांक -- 09/02/2024*

*दिन -- शुक्रवार*

*आधार छंद-- मिताली*

*मापनी-- 212-122*

*पदांत-- 2*

*सृजन शब्द--  हो विजय हमारी (2 युग्म)*

""""""*""""""'*"'''''''''"*""'''''''’'*""'''''''''

हो विजय हमारी, गुरु कृपा तुम्हारी।

नाव है किनारा, साथ हो सहारा।।

प्रीत पुष्प पाऊँ, भाव मन जगाऊँ।

ध्यान उर लगाऊँ, शीश नित झुकाऊँ।।


धीर थाम बढ़ना, है विकास गढ़ना।

ज्ञान दिव्य मोती, चाह साथ होती।।

अंधकार भागे, प्रभु नसीब जागे।

कामना यही है, भावना सही है।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 09/02/2024

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*दिनांक -- 10/02/2024*

*दिन -- शनिवार*

*आधार छंद-- मिताली*

*मापनी-- 212-122*

*पदांत-- 2*

*सृजन शब्द-- अब समाधि लेना (2 युग्म)*

""""""*"""""""*"""""""*""""''''''*""''"""

मोह त्याग देना, अब समाधि लेना।

आ गया बुढ़ापा, दुख शरीर व्यापा।।

युक्ति मुक्ति करना, शुभ विचार भरना।

कर्म नित निभाना, दिल नहीं दुखाना।।


नेह मेघ बरसे, मन मयूर हरषे।

फूल पात डाली, साथ-साथ माली।।

हो गये पुराने, रात सुख सुहाने।

मत उपाधि देना, अब समाधि लेना।।


🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/02/2024

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*दिनांक -- 10/02/2024*

*दिन -- शनिवार*

*आधार छंद-- मिताली*

*दैशिक 10 मात्रा/ वर्ग भेद 89*

*मापनी-- 212-122*

*पदांत-- 2*

*सृजन शब्द--*नैन तो मिलाओ* (2 युग्म)*

"""""*""""""*"""""""*""""""*"""""""

शर्म को भगाओ, नैन तो मिलाओ।

रात चाँदनी है, साथ रागिनी है।।

अब करीब आओ, प्रीत मन जगाओ।

स्वच्छ भावना है, नेह साधना है।।


मैं नसीब वाला, हो रहा उजाला।

है समय सुहाना, पास तो बुलाना।।

बाँध प्रेम धागा, मत रहूँ अभागा।

घूँघटा हटाओ, नैन तो मिलाओ।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/02/2024

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🌀 *बिलासा छंद महालय* 🐚 

*संध्याकालीन कक्षा*

*दिनांक -- 10/02/2024*

*दिन -- शनिवार*

*आधार छंद-- मिताली*

*दैशिक 10 मात्रा/ वर्ग भेद 89*

*मापनी-- 212-122*

*पदांत-- 2*

*सृजन शब्द--*नैन तो मिलाओ* (2 युग्म)*

पटल क्रमांक---1

समीक्षक 🍁अशोक पटसारिया नादान🍁 

"""""*""""""*"""""""*""""""*"""""""

नैन तो मिलाओ, रागिनी सुनाओ।

जीत का तराना, नित्य गुनगुनाना।।

ढूँढ लो ठिकाना, साथ नित निभाना।

पास कामयाबी, बैठ बन नवाबी।।


नाव नेह चढ़ना, एक साथ बढ़ना।

ध्यान साधना हो, प्रभु उपासना हो।।

पथ पुकारता है, मन उभारता है।

पास ईश पाओ, नैन तो मिलाओ।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/02/2024



विशाल छंद- (आधार छंद)

 विशाल छंद- जगा जमीर

 मापनी- 121 21

 पदांत- 121

जगा जमीर, कहे कबीर।

मिटे प्रचंड, नशा घमंड।।

शहद समान, रखें जुबान

बढ़े समाज, गढ़ें सुराज।।


कुरीति कोढ़, कुसंग छोड़।

मिटा दुराव, रखें लगाव।।

उठा मशाल, करो कमाल।

बनो प्रबुद्ध, विचार शुद्ध।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


[31/01, 11:15 am] Er. G.N. Patre: 

विशाल छंद- प्रभाव छोड़

मापनी- 121 21

पदांत- 121

बनें महान, विवेकवान।

न हो उदास, करें प्रयास।।

बनें प्रदीप, समुंद्र सीप।

हरेक मोड़, प्रभाव छोड़।।


कुसंग चाल, सजे न भाल।

सुनीति संग, बढ़े उमंग।।

सुधा स्वभाव, रखें लगाव।

सुपंथ जोड़, प्रभाव छोड़।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 


[31/01, 11:16 am] Er. G.N. Patre:

विशाल छंद- नवल विधान

मापनी- 121 21

पदांत- 121

नवल विधान, गढ़ें सुजान।

गुरू कुरान, गुरू महान।।

रहीम राम, तुझे सलाम।

करूँ प्रणाम, न हो विराम।।


कलम कलाम, रखें लगाम।

कभी न क्षीण, रहें प्रवीण।।

बने पतंग, रहें मतंग।

बढ़ा प्रसंग, बढ़े उमंग।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


[31/01, 11:17 am] Er. G.N. Patre: 

विशाल छंद- 

शीर्षक- गढ़ो विधान

मापनी- 121 21

पदांत - 121

विशाल छंद, हमें पसंद।

रखो तुकांत, सभी पदांत।।

गढ़ो विधान, बनो सुजान।

बनें सहाय, सुखी हिताय।।


तजें गुमान, बनें महान।

करें प्रयास, सदा विकास।।

बनें उदार, करूँ पुकार।

रखें न द्वेष, बनें विशेष।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


[31/01, 5:38 pm] Er. G.N. Patre: 

विशाल छंद- प्रभाव छोड़

मापनी- 121 21

तुकांत- 121

उठे हिलोर, न हो विभोर।

उठा कमान, लगा निशान।।

न चूक चाह, प्रयास राह।

डरो न होड़, प्रभाव छोड़।।


बनें प्रयाग, न हो विराग।

बजा मृदंग, सजा उमंग।।

न हो उदास, बढ़े न त्रास।

मिटे मरोड़, प्रभाव छोड़।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


[01/02, 7:19 pm] Er. G.N. Patre: 

विशाल छंद- विचारवान

मापनी- 121 21

पदांत- 121

विचारवान, मनुज महान।

सुमीत रीत, प्रभाव प्रीत।।

चलें सुचाल, करें कमाल।

दया उदार, खिले बहार।।


करें न भूल, गड़े न शूल।

करो निदान, दयानिधान।।

बनो सुधीर, समुद्र नीर।

प्रभास ज्ञान, विचारवान।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


[02/02, 10:17 pm] Er. G.N. Patre:

 विशाल छंद- *उमंग आज*

मापनी- 121 21

पदांत- 121

उमंग आज, करो सुराज।

उठे हिलोर, नवीन भोर।।

गढ़ो मुकाम, सुकाम थाम।

उठा निगाह, रखो प्रवाह।।


न हो निढाल, रहो निहाल।

करो ग्रहीत, विचार प्रीत।।

रहो न भ्रांत, बनो प्रशांत।

तरंग साज, उमंग आज।।


🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


[02/02, 10:18 pm] Er. G.N. Patre:

 विशाल छंद- *करो कमाल*

बदल विचार, बहे बयार।

सजा बसंत, दिशा अनंत।।

बजा मृदंग, खुशी उमंग।

बनो मिसाल, करो कमाल।।


सुनो सुगीत, भुला अतीत।

सुप्रेम क्षेम, सहेज नेम।।

बनो प्रमोद, सुधा पयोद।

झुके न भाल, करो कमाल।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


[02/02, 10:18 pm] Er. G.N. Patre: 

विशाल छंद- *करूँ प्रणाम*

मापनी- 12121

पदांत- 121

रहूँ न दीन, इसी जमीन।

बनो सहाय, करो उपाय।।

बने नसीब, रहूँ करीब।

मिले मुकाम, करूँ प्रणाम।।


करूँ पुनीत, बढ़े सुमीत।

सजे सुभाग, बनूँ पराग।।

मिले विकल्प, रहूँ न अल्प।

मिले सुधाम, करूँ प्रणाम।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)


मयूरशिखा छंद-

*मयूर शिखा (अर्ध सममात्रिक छंद)* नव प्रस्तारित आधार छंद है। *कुल मात्रा -- 54* *यति-- 14,13* *पदांत- IIS* *मापनी--- SSS-SSS-S, SSIS-SIIS* ( ...