शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

दोहा छंद- अर्ध सममात्रिक छंद

 *---अर्ध सममात्रिक---* 

   *जिस मात्रिक छंद के पहले और तीसरे अर्थात विषम चरणों के और दूसरे एवं चौथे अर्थात सम चरणों के लक्षण समान हो उसे अर्ध सममात्रिक  कहते हैं।*

*दोहा छंद--- (कुल 48 मात्रा) यति - गुरु लघु*

   *यह द्विपदी अर्द्ध सममात्रिक छंद है। इसके प्रति पद में 24 मात्रा होती है। प्रत्येक पद 13, 11 मात्रा के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है। 13 मात्रा के चरण को विषम चरण कहा जाता है और 11 मात्रा के चरण को सम चरण कहा जाता है। दोहा के विषम चरण का प्रारम्भ जगण (121), पंचकल तगण (221), सप्तकल से नहीं होता।*

*कल संयोजन----*

*(1) विषमकल संयोजन----*

*332(212), 332(21)*

*(2) समकल संयोजन-----*

*44(212), 44(21)*

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    *दिनांक -- 22/04/2024*

*दिन --सोमवार*

*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*यति - 13,11*

*परिचय-- चार चरण 48मात्रा*

*पदांत--  गुरु लघु आवश्यक*

*सृजन शब्द-- नमन*

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नमन पटल गुरुदेव को, नमन महालय छंद।

दिए मुझे हैं छंद का, सर्व श्रेष्ठ मकरंद।।


आओ सीखें आज हम, दोहा छंद विधान।

सब छंदों का मूल यह, कहते सब विद्वान।।


चार चरण दो पंक्ति से, बनते दोहा छंद।

मात्रा अड़तालीस कुल, यति गति चौबंद।।


कुल मात्रा चौबीस ही, रखना दोनों पाद।

विषम चरण तेरह रहे, हो सम ग्यारह याद।।


कभी जगण से छंद को, करें नहीं शुरुआत।

दूर पंचकल से रहें, ध्यान रखें यह बात।।


प्रथम तृतीय चरण सदा, कहें विषम कल आप।

दूजा चौथा सम चरण, छंद विधा परिमाप।।


कल संयोजन छंद का, होता अभिन्न अंग।

कहाँ विषम सम कल रखें, ताकि न लय हो भंग।।


विषम चरण का जान लें, मात्रा योजन भार।

तीन तीन दो तीन दो, अंत रखें गुरु सार।।


समकल चरणों में रखें, चार-चार अरु तीन।

सजते बढ़िया गेयता, लिखना हो तल्लीन।।


गजानंद दोहा लिखे, पाकर गुरु से ज्ञान।

गुरु चरणों में है नमन, कभी न हो अभिमान।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 22/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- रंग*

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रंग बिरंगे लोग हैं, रंग बिरंगे बोल।

फिर भी मेरे देश में, समरसता अनमोल।।


संविधान ने है दिया, सबको सम अधिकार।

जाति- धर्म से हो परे, रखें प्रीत व्यवहार।।


बागों में सब फूल खिल, भरते रंग बहार।

इसी तरह हम आप मिल, करें सुखद संसार।।


करें बड़ों का मान हम, छोटों को दें प्यार।

अतिथि देव समतुल्य है, मिला हमें संस्कार।।


त्यागें हम कुविचार को, अपनायें सुख राह।

गजानंद संभव तभी, परहित चाह अथाह।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 22/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- चलता हूँ अविराम*

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परहित सेवा भाव रख, चलता हूँ अविराम।

जीते जी इस लोक में, पाने को सुख धाम।।


करता हूँ नित कामना, प्रभु जी देना साथ।

दुखियों की करने मदद, सदा बढ़े यह हाथ।।


ढोंग रूढ़ि पाखंड का, लगे कभी मत रोग।

सच्चाई की हो परख, पाऊँ सुखद सुयोग।।


कर्म वचन अरु सोच में, भरना प्रेम मिठास।

कभी किसी को मत मिले, व्यवहारों से त्रास।।


कर्तव्यों के राह में, करूँ सफलता पार।

गजानंद प्रभु आपसे, करता करुण पुकार।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 23/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- उपहार*

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इस जीवन को मानिए, सतगुरु का उपहार।

इसीलिए करते रहें, जीव जगत से प्यार।।


मानव-मानव एक का, रखिये मन में भाव।

घायल करते सोच को, जाति-धर्म का घाव।।


सभी जन्म से एक हैं, खून सभी का एक।

मानवता के राह पर, कर्म बनाओ नेक।।


सत्य अहिंसा प्रेम का, पढ़ लें हम सब पाठ।

दीन-दुखी सेवा बिना, मानव तन है काठ।।


स्वर्ग नर्क के फेर में, पड़ना मत इंसान।

गजानंद शुभ कर्म पर, रखना हरदम ध्यान।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 23/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- करना है मतदान*

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लोकतंत्र का पर्व यह, पावन पुण्य महान।

गजानंद हर एक को, करना है मतदान।।


संविधान ने है दिया, मतादान अधिकार।

एक-एक मत कीमती, करना बात विचार।।


जनता बन बगुला भगत, बैठे क्यों खामोश।

लूट रहे हैं अस्मिता, अब तो आओ होश।।


गजानंद कहते फिरे, सच्चाई के साथ।

शिक्षा भी विकलांग है, निजीकरण के हाथ।।


रोजगार व्यापार से, दूर युवा हैं आज।

काम नहीं हर हाथ में, वंचित लोक सुराज।।


भूल कभी जाना नहीं, हक मुद्दे की बात।

नेता देते खोखले, जन-जन को खैरात।।


जाति-धर्म पर जो करे, राजनीति का खेल।

इन नेताओं का रहा, निज विकास से मेल।।


परम हितैषी बन खड़े, घर-घर आज जनाब।

पाँच वर्ष का माँगना, इनसे आप हिसाब।।


बिजली पानी घर सड़क, है जीवन आधार।

और चाहिए क्या भला, जनता को सरकार।।


नहीं चाहिए बोल दो, मंदिर मस्जिद चर्च।

रोजगार सुख स्वास्थ्य अरु, शिक्षा पर हो खर्च।।


गजानंद नेता चुनो, सदुपयोग कर वोट।

तेरे मत से ही तुम्हें, मत पहुँचाये चोट।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 24/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- पतवार*

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सतगुरु जीवन नाव का, बने रहो पतवार।

दया दृष्टि से आपकी, कर जाऊँ भव पार।।


करना इच्छाशक्ति को, आप सदा मजबूत।

मन में दृढ़ विश्वास हो, तन में भक्ति भभूत।।


गुरु से बढ़कर है नहीं, दुनिया में भगवान।

जिनके ज्ञान विवेक से, बनते मनुज महान।।


शिक्षा का गुरु दीप बन, करते ज्ञान उजास।

गजानंद गुरु के बिना, कौन बँधाये आस।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 24/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- वादे झूठे कर गये*

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वादे झूठे कर गए, नेता जी हर बार।

वोट माँगने आज फिर, आये हैं वे द्वार।।


बाँध पुलिंदा झूठ का, फेंक रहें हैं जाल।

करो भरोसा अब नहीं, मत गलने दो दाल।।


पाँच वर्ष तक क्या किये, इनसे करो सवाल।

भूले देश विकास को, सोये नींद निढाल।।


जाति-धर्म के नाम पर, खूब मचाये रार।

जनता की तकलीफ को, किये नहीं स्वीकार।।


भूख गरीबी है बढ़ा, महँगाई की मार।

तरस रहें सुख कौर को, कौन करे उद्धार।।


चोर लुटेरों को मिला, निस दिन छूट पनाह।

चीख रही जनता यहाँ, कौन सुझाये राह।।


वंचित दलित समाज पर, होते शोषण रोज।

नेता इससे हो परे, करते छप्पन भोज।।


सत्ता स्वयं विशेष का, पाने को है होड़।

नेता जी अब चुप रहो, चुपड़ी बातें छोड़।


समझ रहें हर बात को, समझ रहें हर चाल।

गजानंद अब तो इन्हें, बाहर फेक निकाल।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 25/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- लोकतंत्र का पर्व*

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आया मेरे देश में, लोकतंत्र का पर्व।

करके अब मतदान हम, कर लें खुद पे गर्व।।


अपने सोच विवेक से, चुनना नेता नेक।

जाति धर्म से हो परे, सबको मानें एक।।


करना वोट खराब मत, पड़ करके तुम लोभ।

वरना सहना है तुम्हें, पाँच वर्ष दुख क्षोभ।।


हक मुद्दें की बात को, रख लेना तुम ध्यान।

करने देश विकास निज, करना है मतदान।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 25/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- नर तन है अनमोल*

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पाये हो सौभाग्य से, नर तन है अनमोल।

मानवता के राह चल, बोलो मीठा बोल।।


सत्य अहिंसा प्रेम का, पाठ पढ़ो तुम नेक।

सभी जन्म से एक हैं, लहू सभी का एक।।


हाड़ मांस अरु खून से, सबका बना शरीर।

सुख भी सबका एक है, एक सभी का पीर।।


जीव चराचर के लिए, भर लो मन में नेह।

मिल जायेगा एक दिन, मिट्टी में यह देह।।


भक्ति रंग में रंग कर, कर लो प्रभु का जाप।

दया दृष्टि प्रभु का मिले, मिट जाये संताप।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 26/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- परिवर्तन का दौर है*

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परिवर्तन का दौर है, गाँव शहर में शोर।

गया सिंहासन हाथ से, छोड़ लगाना जोर।।


बहुत लिए हो लूट तुम, बहुत मचाये रार।

आपस लोगों को लड़ा, बन बैठे सरकार।।


समझदार जनता बहुत, समझ गए हर बात।

अपने मत अधिकार से, बदलेंगे हालात।।


संविधान से आप हम, संविधान से देश।

संविधान ने है दिया, सबको सुख परिवेश।।


परिवर्तन का दौर है, परिवर्तित हो देश।

सबको सुख जीवन मिले, मिट जाये हर क्लेश।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 26/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- बजरंगी गुण धाम*

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परम भक्त प्रभु राम के, बजरंगी हनुमान।

शरण पड़ा हूँ आपके, देना मुझ पर ध्यान।।


करूँ भजन मैं आरती, लेकर पूजा थाल।

श्री चरणों में आपके, झुके रहे नित भाल।।


दुख विपदा भंजन करो, बजरंगी गुण धाम।

नाम हृदय में लूँ बसा, मैं तो आठों याम।।


राम काज करने सदा, रहते आतुर आप।

माता सीता खोज में, नीरनिधि दिये नाप।।


बाहुबली हनुमान जी, देना बुद्धि विवेक।

भक्तों के रक्षक बनो, कर्म बना दो नेक।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 27/04/2024

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*आधार छंद-- दोहा अर्ध सममात्रिक छंद*

*सृजन शब्द-- जाग अरे इंसान*

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सोया वह खोया सदा, जाग अरे इंसान।

समय कभी लौटा नहीं, देना इस पर ध्यान।।


श्रम का फल मीठा मिले, इंतजार रख धीर।

श्रम से मिलता मान पद, दूर हुये हैं पीर।।

🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 27/04/2024

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