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*दिनांक -- 08/04/2024*
*दिन -- सोमवार*
*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*यति -14,16*
*परिचय-- महातैथिक 30 मात्रा
*वर्ग भेद -- (13,46, 269)*
*पदांत-- एक गुरु आवश्यक*
*सृजन शब्द-- अब सिंहासन डोल रहा*
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अब सिंहासन डोल रहा, चमचों की नव चमचाई से।
गिर रही देश की हालत, सोचो दिल की गहराई से।।
अंधभक्ति की लगन लगी है, दूर सभी हैं सच्चाई से।
देश सुरक्षित कैसे हो, गद्दारों की परछाई से।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 08/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- बहकावे में मत आना*
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बहकावे में मत आना, सोच समझकर कदम बढ़ाना।
शूल बिछे मत राहों में, सदा शांति का पाठ पढ़ाना।।
द्वेष भावना को छोड़ो, आपस का तकरार हटाओ।
दूत प्रेम का बन जीना, इस जीवन से घृणा घटाओ।।
जाति-पाति के बंधन में, नहीं जकड़कर जीवन जीना।
मानवता धर्म बनाओ, सीखो दुख को हँसकर पीना।।
सभी जन्म से एक यहाँ, फिर किसने क्यों भेद किया है।
आग हवा नभ नीर धरा, सेवा एक समान दिया है।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 09/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- कृपा करो माता रानी*
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कृपा करो माता रानी, द्वार आपके मैं आया हूँ।
भाव भक्ति को साथ लिए, चरणों में माथ झुकाया हूँ।।
दीन गरीब पुकारे माँ, शुभ सबका भाग्य बनाते हो।
अपने भक्त जनों पर नित, माँ दया प्रेम बरसाते हो।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 09/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- श्री सुख समृद्धि का वर दे*
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श्री सुख समृद्धि का वर दे, हे माता रानी जगदम्बे।
कष्ट निवारण आप करो, मातु भवानी शारद अम्बे।।
करूँ जोड़ कर विनती माँ, ज्ञान पुंज की ज्योति जला दो।
लिखूँ आपकी महिमा को, ऐसी मुझको कलम कला दो।।
मत कभी निराश रहूँ मैं, पास रखो चरणों में अपने।
मन मंदिर में वास करो, पूर्ण करो माँ मेरे सपने।।
भक्ति भाव उर साज लिए, जगराता माता मैं गाऊँ।
धन्य करो इस जीवन को, सहज सरल दर्शन को पाऊँ।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द- *माता का जगराता कर लें*
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चैत्र मास मनभावन है, माता का जगराता कर लें।
ज्योति जलायें श्रद्धा की, भक्ति भाव हम उर में भर लें।।
आये माँ नौ रूप लिए, नौ दिन पर्व सुहावन करने।
गजानंद गुणगान करे, भवसागर से खुद को तरने।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 10/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- पूर्ण साधना का पथ दो*
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पूर्ण साधना का पथ दो, गुरु उर में ज्ञान प्रकाश भरो।
राह दिखाओ सत्य सदा, गुरु मन का दूर विकार करो।।
बनकर मैं गुरु अनुगामी, सच का नित्य प्रचार करूँ।
ढोंग रूढ़ि पाखंड मिटे, शब्दों से कलम प्रहार करूँ।।
कहाँ फिरोगे दर-दर तुम, मन मंदिर देव बसा लेना।
देव असल है मातु पिता, कर सेवा भक्ति लुटा देना।।
तथाकथित का त्याग करो, छोड़ो अंधभक्ति में जीना।
गजानंद सच कहता है, तब नहीं पड़ेगा गम पीना।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 11/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- करूँ आरती नित्य तुम्हारी*
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भक्ति भाव की थाल सजा, करूँ आरती नित्य तुम्हारी।
दास बना हूँ द्वार खड़ा, करो कृपा माँ मंगलकारी।।
श्रद्धा फूल चढ़ाऊँ मैं, चरणों में माँ स्वीकार करो।
लोभ अहं से दूर रखो, नित त्याग प्रेम की भाव भरो।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 11/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- पग पग पर पीड़ा देते हो*
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दीन गरीब पड़ा हूँ माँ, क्यों रोज परीक्षा लेते हो।
भूल हुई है क्या मुझसे, पग-पग पर पीड़ा देते हो।।
बिखर गया अपनों से ही, अपनों ने मुझको छोड़ दिए।
लोग जुड़े थे स्वार्थ लिए, सब दुख में नाता तोड़ दिए।।
सुन लो पुकार मेरी माँ, खुशियों की झोली भर देना।
परहित सेवा पाँव उठे, नित ऐसा मुझको वर देना।।
लोग पराये हो जाये, पर मुझे पराये मत करना।
रखूँ सभी को जोड़ सदा, माँ कृपा शक्ति मुझमें भरना।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 12/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- भाव भजन अर्पित है तुमको*
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मन में ज्योति जला श्रद्धा, भाव भजन अर्पित है तुमको।
शरण पड़ा हूँ भक्त बने, माँ भव से पार लगा मुझको।।
विघ्न हरण करना माँ नित, दूर रखो दुख परछाई से।
करना शांति प्रदान सदा, मन को भरना सच्चाई से।।
दयावान सागर करुणा, प्रतिमूर्ति हो माँ ममता की।
कभी परीक्षा मत लेना, दुख सहनशीलता क्षमता की।।
जन्म- जन्म का हो नाता, माँ मुझको बेटा कह देना।
भक्ति भजन में भूल हुई, तो पुत्र समझ माँ सह लेना।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 12/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- बदल गये सब चलते- चलते*
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जो लोग करीब रहे वो, बदल गये सब चलते-चलते।
पड़ा रहा मैं स्तब्ध हुए, हाथ दुखी से मलते-मलते।।
मिला सबक अपनों से ही, किसे पराया अपना मानें।
स्वार्थ लिए हैं लोग खड़े, किसको कैसे हम पहचानें।।
धोखा इस कदर बढ़ा है, भाई ही भाई को देते।
लोग मतलबी आज हुए, बाँट पिता माता को लेते।।
गायब है सुख परछाईं, दुख ही दुख हर कोने में।
खुद ही जिम्मेदार सभी, रिश्ते- नाते को खोने में।।
समय किसी के पास नहीं, सुख-दुख में शामिल होने को।
नही मिलेगा सुन साथी, अब बाँह लिपटकर रोने को।।
दो गज बस कफ़न मिलेगा, सब धरा-धरा रह जायेगा।
गजानंद कर लो नेकी, कर याद समय पछतायेगा।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 13/04/2024
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*आधार छंद-- रुचिरा सममात्रिक मापनी मुक्त*
*सृजन शब्द-- आज मिला आशीष तुम्हारा*
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तुम्हें पुकारूँ कर दो माँ, इस जीवन का नाव किनारा।
बसा लिया मन मंदिर में, आज मिला आशीष तुम्हारा।।
तमस मिटा काटो तम को, मन में भरना ज्ञान पिपासा।
भटक कहीं मत जाऊँ माँ, मुझको देना धीर दिलासा।।
विंध्यवासनी जगदम्बे, है माँ रूप अनेको तेरे।
छाँव कृपा हर पल देना, संकट मुझे कभी मत घेरे।।
नित्य आपसे चाह रखूँ, माँ प्रथम भक्त में हो गिनती।
कभी न टूटे उम्मीदें, सुन लो गजानंद की विनती।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 13/04/2024
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